बिहार की इस बेटी की ऐसी जिद कहा- जब तक ना बनी शौचालय, तब तक…

पटना। यह बच्ची प्रेरणा है, उनके लिए जो शिकायतों के ढेर पर बैठे हैं। जो अपने गली-मोहल्लों में स्वच्छता के लिए सरकार की ओर देखते हैं। जो सोचते हैं कि शौचालय बनाना उनका नहीं, सरकार का काम है। महज 12 साल की सोनम अपने माता-पिता की सोच बदलने को जिद करती है। ये जिद आम बच्चों की तरह खाने-पीने या कपड़े लेने के लिए नहीं, बल्कि स्वच्छता के लिए है।बिहार की इस बेटी की ऐसी जिद कहा- जब तक ना बनी शौचालय, तब तक...

ताकि मान जाएं घर वाले

बिहार के रोहतास जिले के बिक्रमगंज ब्लॉक की निवासी नौवीं क्लास की इस छात्र ने घर में ही आंदोलन छेड़ दिया। एक दिन स्कूल से आई और सीधे अपने कमरे में बंद हो गई। पहले तो मां-पिता को लगा कि स्कूल से थकी-हारी आई है, मगर जब रात तक उसने कमरा नहीं खोला तो चिंता हुई। बाहर से मां ने आवाज लगाई तो मामला समझ में आया। दरअसल सोनम घर में शौचालय बनवाने के लिए अनशन पर बैठ गई थी।

तीन दिन तक चला आंदोलन

रात को मां-पिता ने समझाया कि पैसे की बहुत दिक्कत है। घर में बड़ी बहन की शादी होने वाली है। शौचालय बनवाने के लिए कहां से पैसे लाएं? मगर सोनम मानने को तैयार ही नहीं थी। सबको लगा, सुबह तक मान जाएगी। अगले दिन सुबह भी सोनम ने दरवाजा नहीं खोला। दिनभर बड़ी बहनें, भाई और मां-पिता समझाते रहे, लेकिन सोनम जिद पर अड़ी हुई थी।

दो दिन गुजर गए, मगर सोनम ने दरवाजा नहीं खोला। तीसरे दिन सुबह-सुबह मां-पिता ने आश्वासन दिया कि गहने बेचकर शौचालय बनवा देंगे। कमरे से बाहर निकलने का आग्रह किया। तब जाकर सोनम ने दरवाजा खोला।

मां ने शादी के गहने बेच बनवाया शौचालय

सोनम की मां बिमला देवी ने बताया, हमारे आठ बच्चे हैं। पति मजदूर हैं। घर चलाने के लिए मैं भी गांव के खेतों में काम करती हूं। जब सोनम शौचालय बनवाने के लिए जिद पर बैठ गई तो हमें हारना पड़ा। हम लोगों ने अपनी बड़ी बेटी की शादी के लिए सोने की कान की बाली बनवाई थी। शौचालय बनवाने के लिए उसे बेच दिया। फिर जाकर शौचालय बनवाया। सोनम बताती हैं, मैंने शौचालय के लिए जिद करने से पहले मां को बोला था, लेकिन मां ने पैसे की मजबूरी बताई।

स्कूल से मिली प्रेरणा

स्कूलों में चल रहे स्वच्छ भारत अभियान ने बच्चों को बहुत प्रेरित किया है। सोनम अपने गांव के स्कूल में बाल संसद की प्रधानमंत्री थीं। वहां के शिक्षकों ने बच्चों को स्वच्छता के फायदे बताए। सोनम बताती है, स्कूल के शिक्षकों ने ही घर में शौचालय बनवाने के लिए प्रेरित किया था।

उन्होंने समझाया कि यदि माता-पिता सीधे रास्ते नहीं मानें तो खाना-पीना बंद कर दो। एक दिन स्कूल से आने के बाद मैंने यही सोचा।

प्रशासन ने बनाया

स्वच्छता के प्रति सोनम की सोच से प्रभावित होकर स्थानीय बीडीओ उसे अब दूसरे गांव में के तौर पर ले जाते हैं ताकि दूसरे लोग भी प्रभावित हो सकें।

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