कोरोना के कोहराम से लखनऊ में श्मशान घाट में दिखा कुछ इस तरह का मंजर, जहां दफन बच्चों के शव वहीं…

उत्तर प्रदेश के लखनऊ में कोरोना संक्रमण की वजह से हालात बेहद भयावह हैं. अचानक श्मशान घाट पर बड़ी संख्या में शव पहुंच रहे हैं, जिसकी वजह से श्मशान घाट की जमीन कम पड़ रही है और दाह संस्कार में लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. हालात इतने खराब हो चुके हैं कि श्मशान घाट पर दफनाएं गए बच्चों के शवों के ऊपर दूसरे शव रखकर जलाया जा रहा है. बता दें, हिंदू रीति रिवाज में नाबालिक बच्चों के शवों को जलाया नहीं जाता है.

लखनऊ के आलमबाग स्थित नहर शवदाह गृह पर जहां पर छोटे बच्चों दफनाया जाता है. बच्चों को दफनाने के बाद वहां पर एक चबूतरा बनाकर छोड़ दिया जाता है. लेकिन इस बार कोरोना संक्रमित लोगों के शवों को उसी चबूतरे पर रखकर दाह संस्कार किया जा रहा है, जिसे लेकर लोगों में काफी नाराजगी है, लोगों का कहना है कि प्रशासन इस तरफ ध्यान नहीं दे रहा है. लोगों की शिकायत है कि जहां पर उनके बच्चों का पहले से हिंदू रीति रिवाज से अंतिम संस्कार किया जा चुका है, उसके ऊपर ही दूसरी लाशों को जलाया जा रहा है.

बता दें, लखनऊ में कोरोना संक्रमण बहुत तेजी से बढ़ रहा है, इस संक्रमण की वजह से रोजाना सैकड़ों लोगों की मौत हो रही है. इन दिनों आलमबाग स्थित नहर शवदाह ग्रह पर एक साथ 60 से 70 करोना संक्रमण मरीजों के शव जलाए जा रहे हैं, जिसकी वजह से श्मशान घाट में जगह कम पड़ रही है.

इस मामले को लेकर पूर्व पार्षद भूपेंद्र सिंह ने आपत्ति भी जताई है. भूपेंद्र चौधरी का कहना है कि नहर शवदाह गृह में पहले से नाबालिग मृत बच्चों के शव को हिंदू रीति रिवाज से मिट्टी में दफनाया जाता है और एक चबूतरा बना दिया जाता है. लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण में लोगों की मौत इस कदर हो रही है कि जहां बच्चों के शवों को दफनाया गया है, उसके ऊपर कोरोना मरीजों के शवों को जलाया जा रहा है, इस पर रोक लगनी चाहिए.

इस मामले में अपर नगर आयुक्त अमित कुमार ने कहा कि दफनाए गए बच्चों के शवों वाले चबूतरे पर कोरोना मरीजों के शव जलाए जाने के मामले की जांच की जाएगी और ऐसा करने से रोका भी जाएगा.

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