कुछ इस तरह पंजाब सरकार रोकेगी अवैध खनन को

चंडीगढ़। पंजाब में बड़ा सियासी मुद्दा बन चुके अवैध रेत खनन की समस्या सुलझाने के लिए प्रदेश सरकार जल्द ही यह कारोबार अपने हाथों में ले सकती है। इसके लिए बाकायदा निगम बनाया जाएगा। यह दावा रेत खनन की नई पॉलिसी तैयार करने के लिए बनाई गई कैबिनेट सब कमेटी के चेयरमैन नवजोत सिंह सिद्धू ने किया है। प्रदेश में अवैध रेत खनन बड़ा सियासी मुद्दा बन चुका है।कुछ इस तरह पंजाब सरकार रोकेगी अवैध खनन को

अवैध रेत खनन की समस्या खत्म करने को बनेगा निगम

पूरे सिस्टम को समझने के लिए सिद्धू तेलंगाना जा रहे हैं। तेलंगाना ने रेत खनन के कारोबार के सिस्टम को सुधार कर रेवेन्यू को दस करोड़ से 1300 करोड़ तक पहुंचा दिया है। सिद्धू ने कैबिनेट सब कमेटी की मीटिंग के बाद बताया कि पिछली सरकारों ने रेत के कारोबार को जानबूझकर पेचीदा बनाया हुआ था ताकि एक गठजोड़ बनाकर सारा पैसा अपनी जेबों में डालते रहें। कमेटी ने सिफारिश की है कि सबसे पहले रेत की उपलब्धता का पता लगाया जाएगा। इसके लिए आइआइटी रोपड़, आइआइटी कानपुर, आइआइटी दिल्ली व आइआइटी खडग़पुर की सेवाएं ली जाएंगी। हर आइआइटी को एक नदी दी जाएगी। पंजाब में सतलुज, ब्यास, रावी व घग्गर नदी से रेत निकलती है।

फिक्स होंगे रेट, होगी ऑनलाइन बुकिंग

सिद्धू ने बताया कि रेत के रेट फिक्स होंगे। रेत को खड्डों से निकालकर स्टॉक यार्ड में रखा जाएगा और जहां जरूरत होगी वहां भेजा जाएगा। इसकी ऑनलाइन बुकिंग भी की जा सकेगी। यह बुकिंग कोई भी व्यक्ति, संस्था या कंपनी कर सकेगी।

रेत नहीं, ट्रांसपोर्ट का है माफिया

सिद्धू ने बताया कि रेत का नहीं, ट्रांसपोर्ट का माफिया है। इसको काबू करने के लिए रेत ढोने वाले सभी ट्रक एक ही रंग के होंगे जिसमें जीपीएस सिस्टम और रेडियो फ्रिक्वेेंसी आईडी सिस्टम लगाना अनिवार्य बनाया जाएगा। इससे पता चल सकेगा कि संबंधित ट्रक कहां से चला है और कहां जाना है। उन्होंने कहा कि लगभग ऐसे ही सिस्टम का 2014 में हुई कैबिनेट में फैसला लिया गया था लेकिन इसका नोटिफिकेशन ही जारी नहीं किया गया।

खपत का भी लगाया जाएगा पता

उन्‍होंने बताया कि सब कमेटी यह भी सिफारिश करने जा रही है कि रेत की मांग का भी पता लगाया जाएगा। सिद्धू ने बताया कि 65 फीसद रेत सरकारी इमारतें, सड़कें आदि बनाने में लगती है। इसकी मॉनिटिरिंग भी करवाई जाएगी। कैबिनेट सब कमेटी यह भी सिफारिश करेगी कि किसान अपनी जमीन से रेत निकाल सकें। किसान केवल तीन मीटर नीचे तक रेत निकाल सकेंगे।

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