भक्ति पथ पर चलने के लिए जाने कुछ अनमोल नीति वचन

।।भक्ति पथ।।

चेतोदर्पणमानर्जनं भवमहादावाग्निनिर्वापणम्,
श्रेयः कैरवचन्द्रिकावितरणं विद्यावधूजीवनम्
आनंदांबुधिवर्धनं प्रतिपदं पूर्णामृता स्वादनम्,
सर्वात्मस्नपनं परं विजयते श्री कृष्ण संकीर्तनम्।।

अर्थात:-प्रभू श्री कृष्ण के नामगुणादिकों का संकीर्तन सर्वोपरि है।नाम संकीर्तन की तुलना में को दूसरा साधन नहीं है। नाम संकीर्तन चित्तरूपी दर्पण को शुद्ध कर देता है।संसार रूपी घोर दावानल को बुझा देता है,कल्याण रूपी कुमुदनी को अपनी किरणों से विकसित करने वाला एवं आनन्द के समुद्र को बढ़ाने वाला चन्द्रमा है। विद्यारूपी वधू को जीवन देने वाला है। पद-पद पर पूर्ण अमृत का आस्वादन करने वाला, व संपूर्ण आत्मा को शांति एवं आनन्द की धारा में डूबा देने वाला है भगवत नाम संकीर्तन
अस्तु हम सभी को प्रभू के नाम का संकीर्तन कम से कम 24 मिनट अवश्य करना चाहिए।

।।श्री चैतन्यदेव गौरांग महाप्रभू।।

प्रेषक – आचार्य स्वामी विवेकानन्द
श्रीरामकथा व श्रीमद्भागवत कथा व्यास श्री अयोध्या धाम
संपर्क सूत्र-9044741252

????✡नीति वचनम✡????

कुचैलिनं दन्तमलोपधारिणं
वह्वासिनं निष्ठुरभाषिणञ्च।
सूर्योदये चास्तमियते शयानं
विमुञ्चति श्री यदि चक्रपाणि:।।

अर्थात-जो सदैव मलिन वस्त्र पहनता है कभी ठीक से स्वच्छ नही करता और प्रातःकाल दातून मञ्जन नही करता दन्त गन्दा रखता है और भूख से अधिक खाता है जो सदैव झूठ वोलता रहता है सूर्योदय तथा सूर्यास्त के समय सोता रहता उसके घर से लक्षमी जी चली जायगी चाहे स्वयं श्रीमन्नारायण ही क्यो न उसकी सहायता करै अर्थात ऐसे अकर्मण्य व्यक्ति को भगवान भी सुखी नही कर सकते ।।

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