तो क्या कोरोना की तीसरी लहर का आना पक्का है? एक बार जरुर पढ़े ले ये चौका देने वाली रिपोर्ट…

देश फिलहाल कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर से जूझ ही रहा है और इसी बीच अंदेशा जताया जा रहा है कि अगले कुछ ही महीनों में संक्रमण की तीसरी लहर भी आ सकती है. हालांकि ये लहर कब आएगी और कितनी खतरनाक होगी, इसका कोई ठोस समय नहीं बताया जा सका लेकिन माना जा रहा है कि अगली लहर बच्चों और युवाओं को अपनी चपेट में ले सकती है. यानी माना जा सकता है कि अगला दौर देश के लिए ज्यादा खतरनाक हो सकता है क्योंकि ये प्रोडक्टिव फोर्स पर असर डालेगा.

इतने समय में आती है अगली लहर 
पिछले कुछ ही हफ्तों के भीतर लगातार विशेषज्ञ तीसरी लहर की आशंका जता चुके. पिछली महामारियों के आधार पर अनुमान लगाया जा रहा है कि मौजूदा लहर के बीत चुकने के 3 से 5 महीनों के बीच दूसरी वेव आती है. चूंकि अभी भारत दूसरी वेव की चपेट में है, लिहाजा अनुमान लगाया जा रहा है कि नवंबर-दिसंबर के आसपास तीसरी लहर आ सकती है.

क्या है महामारी के दौरान आने वाली लहर?
इसकी कोई साफ-साफ परिभाषा नहीं है. वैसे किसी महामारी के दौरान एक खास समय के लिए संक्रमण के बढ़ने या घटने को ग्राफ में वेव की तरह लिया और समझा जाता है. ये ग्रोथ कर्व लहर की तरह दिखती है. वैसे तो महामारियां सालों में आती हैं लेकिन कई संक्रमण हर साल किसी खास मौसम में हमला करते हैं. तब इन्हें भी समझाने के लिए लहर या वेव टर्म का उपयोग होता है. ये संक्रमण एकाएक आते और तेजी से बढ़ते हुए फिर एकदम गायब से हो जाते हैं लेकिन ये दोबारा फिर एक नियत समय के बाद सक्रिय होते हैं. यही लहर है.

भौगोलिक स्थिति के आधार पर लहर का ग्राफ
कोरोना के मामले में भी लगातार लहर टर्म का इस्तेमाल हो रहा है. ये बीमारी पिछले लगभग डेढ़-दो सालों से लगातार दुनियाभर के देशों में दिख रही है. हालांकि भौगोलिक स्थिति के आधार पर इसकी तीव्रता अलग तरह से सामने आई. किसी देश में फिलहाल संक्रमण काफी हल्का दिख रहा है तो कई देशों में इसका ग्राफ काफी ऊपर है. जैसे हमारे देश को ही लें तो संक्रमण अभी उफान पर है, जबकि यूरोपियन देशों में ये कम हो चुका है.

देश में भी लहर का ग्राफ ऊपर-नीचे 
केवल भारत में भी किसी राज्य में कोरोना संक्रमण का ग्राफ ऊंचा है तो कहीं रफ्तार धीमी पड़ चुकी है. किसी जगह संक्रमण ज्यादा होने का अर्थ ये नहीं कि वो स्थान हमेशा से लिए वैसा ही रहेगा, ठीक यही बात हल्के संक्रमण वाली जगहों पर भी लागू होती है. ये घट-बढ़ एक अंतराल के लिए है, जो फिलहाल अपना पैटर्न बदलती रहेगी.

क्या है इंफेक्शन का पीक 
महामारी या फिर संक्रमण की लहर के दौरान एक और टर्म खूब बोली जा रही है, जिसे पीक कहते हैं. ये वो दौर है जिसमें बीमारी पूरी तेजी पर होती है. इसे हिंदी में शीर्ष भी कहा जाता है. इस दौरान मरीज तेजी से बढ़ते हैं और अगर इलाज, अस्पताल का सही प्रबंधन न हो तो हालात बेकाबू हो जाते हैं. वही पीक बीत जाने के बाद मरीज घटने लगते हैं.

कैसे काम करती है लहर
अब बात करें तीसरी लहर की तो कई विशेषज्ञ अंदेशा जता रहे हैं कि ये दूसरी यानी मौजूदा लहर से ज्यादा खतरनाक होगी. हालांकि इस बात का कोई पक्का प्रमाण नहीं. आमतौर पर हर लहर के साथ वायरस की ताकत कमजोर पड़ती जाती है. ये इस तरह से होता है कि पहली बार वायरस के आने पर संक्रमण नया होता है. किसी में भी इसके खिलाफ इम्युनिटी नहीं होती, और न ही कोई खास इलाज होता है. ऐसे में वायरस तेजी से फैलता है और अपनी जद में आने वाले सारे लोगों पर गंभीर या हल्का असर डालता है. इसके बाद जो लहर आती है, उस दौरान काफी लोगों में पहले से ही संक्रमित होने के कारण एंटीबॉडी बन जाती है और वे दूसरी लहर से लगभग अप्रभावित रहते हैं.

भारत में दिखा उल्टा मामला 
वैसे हमारे यहां लहर के पहले मजूबत और फिर कमजोर होने का तर्क उल्टा पड़ गया. पहली बार साल 2020 के अगस्त में कोरोना की वेव आई लेकिन उस दौरान संक्रमण का आंकड़ा उतना अधिक नहीं था, जितना इस मौजूदा लहर में दिख रहा है. इस लहर में पॉजिटिविटी रेट पहले की तुलना में चार गुना माना जा रहा है. पहली लहर के दौरान संक्रमित हो चुके लोग भी इस लहर की चपेट में आए. यही कारण है कि बहुत से एक्टपर्ट चिंता जता रहे हैं कि संक्रमण की तीसरी लहर ज्यादा खतरनाक हो सकती है.

तो क्या तीसरी लहर का आना पक्का है?
इस बारे में सबकी अलग-अलग राय है. कुछ एक्सपर्ट इसे निश्चित बता रहे हैं तो कईयों का कहना है कि आने वाली लहर रोकी भी जा सकती है. इंडियन एक्सप्रेस की खबर में इसे प्रिंसिपल साइंटिफिक एडवाइजर के विजयराघवन के हवाले से बताया गया. वे कहते हैं कि इसे टाला जा सकता है, अगर लोग बचाव के तरीके अपनाएं और उनका सख्ती से पालन करें. तब ये भी हो सकता है कि तीसरी लहर आए तो लेकिन उसकी अवधि और तीव्रता काफी कम रहे.

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