दिल्ली की 29 हजार फैक्ट्रीयों पर लटकी सीलिंग की तलवार

नई दिल्ली। मास्टर प्लान के उल्लंघन पर मॉनिटरिंग कमेटी की सीलिंग की कार्रवाई से लोगों को अभी राहत भी नहीं मिली थी कि प्रदूषण को देखते हुए नगर निगम रिहायशी इलाकों में चलने वाली 29 हजार फैक्टियों पर सीलिंग की तलवार लटक गई है। निगम के उच्च अधिकारियों ने एक माह के भीतर इन पर कार्रवाई के आदेश दे दिए हैं।दिल्ली की 29 हजार फैक्ट्रीयों पर लटकी सीलिंग की तलवार

जानकारी के मुताबिक दिल्ली सरकार के दिल्ली स्टेट इंडस्टियल एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (डीएसआइआइडीसी) ने दिल्ली के तीनों नगर निगमों को एक सूची भेजी है। इसमें उन फैक्टियों को सील करने के आदेश दिए गए हैं, जो रिहायशी इलाकों में चल रहीं हैं। डीएसआइआइडीसी के मुताबिक वर्ष 1996 में 51 हजार लोगों ने दिल्ली सरकार से औद्योगिक प्लाट आवंटन के लिए आवेदन किया था। इसमें से 27 हजार आवेदन ही योग्य पाए गए थे, जिसमें से 22 हजार लोगों को प्लाट आवंटित भी कर दिए गए थे।

डीएसआइआइडीसी ने अब पूर्वी दिल्ली, उत्तरी दिल्ली और दक्षिणी दिल्ली नगर निगम को उन 51 हजार आवेदनकर्ताओं के साथ 22 हजार लोगों की सूची भेजी है, जिन्हें डीएसआइआइडीसी ने औद्योगिक प्लॉट आवंटित किए थे। निगमों को अब उन फैक्टियों की पहचान करके बंद कराना है जो प्लॉट आवंटन के बाद भी उस स्थान पर चल रहीं हैं। इसके साथ ही जिन्हें प्लॉट आवंटित नहीं किए गए थे, उन्हें भी निगम सील करेगा, क्योंकि रिहायशी इलाकों में फैक्टियों का संचालन गैरकानूनी है। हालांकि इस पूरे मामले में निगम के अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं, लेकिन अंदरखाने सीलिंग की कार्रवाई करने पर पूरी योजना तैयार की जा रही है।

सीलिंग की कार्रवाई दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश पर की जाएगी, क्योंकि बवाना वेलफेयर एसोसिएशन ने कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें कहा गया था कि रिहायशी इलाकों में फैक्टियां बंद नहीं होने की वजह से औद्योगिक क्षेत्र का विकास नहीं हो पा रहा है। इस याचिका में कोर्ट ने निगमों को रिहायशी इलाकों में चल रही फैक्टियों को सील करने के आदेश दिए थे। दिल्ली के रिहायशी इलाकों में फैक्टियां संचालित होने से वायु, जल एवं ध्वनि प्रदूषण में बढ़ोतरी हो रही है और इसका असर आम जनजीवन पर पड़ रहा है।

अव्यावहारिक व अमानवीय है कमेटी का रवैया: मीनाक्षी लेखी

दिल्ली में चल रही सीलिंग से जहां कारोबारी परेशान व नाराज हैं, वहीं भाजपा नेताओं की भी चिंता बढ़ रही है। विपक्ष इसे मुद्दा बना रहा है, जिससे भाजपा को सियासी नुकसान होने का डर है। इसलिए वह सीलिंग रुकवाने की कोशिश में लगी हुई है। पार्टी सीलिंग की प्रक्रिया की जांच संसदीय समिति से कराने की मांग कर रही है। इसके साथ ही उसने सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित मॉनिटरिंग कमेटी के कामकाज पर भी सवाल उठाते हुए उसे भंग करने की मांग की है।

दिल्ली भाजपा के निर्णय के अनुसार, नई दिल्ली से सांसद मीनाक्षी लेखी ने लोकसभा में सीलिंग का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि मॉनिटरिंग कमेटी अदालत के निर्णय का भी पालन नहीं कर रही है। कई अवसर पर वह अदालती आदेशों का उल्लंघन कर रही है। वह वस्तुस्थिति को समङो बगैर सीलिंग कराने की जिद करती है।

लोगों के न्याय के अधिकार का हनन हो रहा है, जिससे लोगों में आक्रोश है। उन्होंने कहा कि अनेक ऐसे मामले हैं, जिसमें नियमों का पालन कर रहे लोगों को भी सीलिंग का सामना करना पड़ा है। पिलंजी गांव, अमर कॉलोनी, मार्बल मार्केट एवं बेसमेंट में बैंक लॉकर जैसे मामलों में मॉनिटरिंग कमेटी का रवैया अव्यावहारिक एवं अमानवीय है। इसलिए दिल्ली में चल रही है सीलिंग की प्रक्रिया की जांच उपयुक्त संसदीय समिति से करानी जरूरी है। मॉनिटरिंग कमेटी का भी अब कोई औचित्य नहीं है।

दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी ने भी लेखी की मांग का समर्थन किया है। उन्होंने समर्थन की लिखित कॉपी लोकसभा अध्यक्ष सुमित्र महाजन को भी दी है। उनका कहना है कि दिल्लीवासियों को सीलिंग से राहत मिलनी चाहिए। दिल्ली के अन्य भाजपा नेता भी सीलिंग के खिलाफ हैं।

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