राजस्थान के मकराना संगमरमर से प्रख्यात मूर्तिकार सत्यनारायण पांडेय रामलला की मूर्ति बनाने में जुटे…
शास्त्रों में रामलला को नीलवर्णी बताया गया है, किंतु रामजन्मभूमि पर उनकी स्थापना के लिए जो तीन मूर्तियां निर्मित हो रही हैं, उनमें से एक श्वेत संगमरमर की है। रामसेवकपुरम में राजस्थान के मकराना संगमरमर से प्रख्यात मूर्तिकार सत्यनारायण पांडेय रामलला की मूर्ति बनाने में जुटे हैं।
यद्यपि रामलला की दो अन्य मूर्तियां भी निर्मित हो रही हैं, यह दोनों मूर्तियां कर्नाटक की तुंगभद्रा नदी के किनारे की पहाड़ी से लाई गईं शिलाओं से निर्मित की जा रही हैं। यह शास्त्रों में वर्णित श्रीराम के श्याम अथवा कृष्ण वर्ण के अनुरूप हैं।
रामजन्मभूमि पर निर्माणाधीन मंदिर के गर्भगृह में स्थापित होने के लिए कर्नाटक की दो कृष्णवर्णी शिला के साथ संगरमरमर की श्वेत शिला से निर्माणाधीन रामलला की मूर्ति के लिए समान संभावनाएं हैं।
विशेषज्ञों की समिति करेगी मूल्यांकन
विशेषज्ञों की एक शीर्ष समिति तीनों मूर्तियों का मूल्यांकन करेगी और जो मूर्ति सर्वाधिक जीवंत, जन-जन के हृदय में बसी श्रीराम की छवि और सुंदरता की कसौटी पर खरी उतरेगी, उसका चयन गर्भगृह में स्थापना के लिए किया जाएगा।
रामलला की श्वेत-श्याम छवि से जुड़े सवाल पर रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल ने कहा, प्रारंभिक चरण से लेकर मूर्ति चयन के अंतिम चरण तक शास्त्रोक्त परंपरा और निर्देशों का पालन सर्वोपरि होगा और इस दृष्टि से जो उचित होगा, वह किया जाएगा।
गर्भगृह में स्थापित किए जाने के लिए भले ही रामलला की एक मूर्ति ही चयनित की जानी है, किंतु इस प्रक्रिया में शामिल बाकी मूर्तियों एवं शिलाओं से पूरा न्याय किया जाएगा। तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल के अनुसार राम मंदिर के साथ सात उप मंदिरों का भी निर्माण प्रस्तावित है।
उप मंदिरों में स्थापित की जाएगी शालिग्राम शिला
ऐसे में रामलला की मूर्ति के लिए नेपाल की गंडकी नदी से लाई गई शालिग्रामी शिला सहित उड़ीसा, महाराष्ट्र तक से आई शिलाओं का उपयोग इन उप मंदिरों में स्थापित की जाने वाली मूर्तियों के निर्माण में किया जाएगा।
विहिप प्रवक्ता शरद शर्मा कहते हैं, किसी को इन शिलाओं के आदर-अनुराग के प्रति संदेह नहीं होना चाहिए। रामलला की अन्य मूर्तियां अन्य जगह स्थापित की जाएगी।
मुख में हास्य और हाथ में होगा धनुष
रामलला की मूर्ति पांच वर्षीय बालक की मुख-मुद्रा के अनुरूप आकार ले रही है। इसमें बाल सुलभ कोमलता संयोजित की जाएगी। निर्दोष अनासक्ति होगी, तो सत्य के सापेक्ष संकल्प की दृढ़ता का भी समायोजन होगा। मुख पर स्मित हास्य होगा, तो हाथ में धनुष भी होगा।
स्थानक यानी खड़ी मुद्रा में निर्मित की जा रही मूर्ति चार फीट चार इंच ऊंची है और आधारभूमि (पैडस्टल) की ऊंचाई को मिला कर रामलला की ऊंचाई आठ फीट सात इंच की होगी।