खुली अदालत में SC/ST Act सुनवाई को तैयार सुप्रीम कोर्ट, दो बजे से सुनवाई


शरण ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सिर्फ इसलिए रोक नहीं लगाई जा सकती क्योंकि कानून व्यवस्था खराब हो रही है. बता दें कि 20 मार्च के फैसले के खिलाफ केंद्र ने पुनर्विचार याचिका दाखिल की है. मामले पर जस्टिस आदर्श कुमार गोयल और जस्टिस यू यू ललित की बेंच ने आदेश दिया था.
SC/ ST एक्ट मामले में केंद्र सरकार की पुनर्विचार याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट का 20 मार्च का फैसला SC/ ST समुदाय के संविधान के तहत दिए गए अनुच्छेद 21 के तहत जीने के मौलिक अधिकार से वंचित करेगा. SC/ ST के खिलाफ अपराध लगातार जारी है तथ्य बताते हैं कि कानून के लागू करने में कमजोरी है ना कि इसका दुरुपयोग हो रहा है.
अगर आरोपी को अग्रिम जमानत दी गई तो वो पीडित को आतंकित करेगा और जांच को रोकेगा.
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अग्रिम जमानत का प्रावधान 1973 में अधिकार के तहत जोड़ा गया. कोर्ट ने गलत कहा है कि जमानत देने से इंकार करना जीने के अधिकार का उल्लंघन है. जब अनुच्छेद 21 के तहत जीने के अधिकार के तहत आरोपी के अधिकारों को सुरक्षित करना महत्वपूर्ण है तो SC/ ST समुदाय के लोगों को भी संविधान के अनुच्छेद 21 और छूआछात प्रथा के खिलाफ अनुच्छेद 17 के तहत सरंक्षण जरूरी है. केंद्र ने कहा है कि इस याचिका पर खुली अदालत में सुनवाई होनी चाहिए, चेंबर में नहीं.