बाबरी विध्वंस मामले में फैसला सुनाने वाले जज एसके यादव की सुरक्षा बढ़ाने से SC का इनकार

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 28 साल पुराने बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले के क्रिमिनल केस का फैसला सुनाने वाले जज एसके यादव की सुरक्षा बढ़ाने से इनकार कर दिया है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने जज एसके यादव को सुरक्षा दी थी। साथ ही उनके रिटायरमेंट को भी फैसला सुनाने तक बढ़ा दिया था। बीते दिनों बाबरी मस्जिद विध्वंस केस में फैसला आया था, जिसमें लालकृष्ण आडवाणी समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया।

दरअसल, मामले का ट्रायल करने वाले स्पेशल जज एसके यादव पिछले साल 30 सितंबर को ही रिटायर होने वाले थे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने होने नहीं दिया। सुप्रीम कोर्ट ने स्पेशल सीबीआई जज एसके यादव से अप्रैल 2020 तक मामले की सुनवाई पूरी करके फैसला सुनाने को कहा था। कार्यकाल बढ़ाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से जवाब मांगा था, जिसके जवाब में यूपी सरकार ने कहा था कि राज्य में किसी जज का कार्यकाल बढ़ाने का कोई प्रावधान नहीं है। इसलिए कोर्ट अपने अनुच्छेद 142 के तहत अधिकार के तहत यह कर सकता है।

इसके बाद शीर्ष अदालत ने इनका कार्यकाल फैसला आने तक बढ़ाने के आदेश जारी किए। आदेश के मुताबिक, यूपी सरकार ने नोटिफिकेशन जारी किया और उनका कार्यकाल फैसला आने तक बढ़ा दिया। ट्रायल के दौरान जज ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर सुरक्षा मुहैया कराने की मांग भी की थी, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से उन्हें सुरक्षा देने के निर्देश दिए थे।

बता दें कि बाबरी मस्जिद विध्वंस का मामला 28 सालों से खिंच रहा था। सुप्रीम कोर्ट ने स्पेशल कोर्ट को अगस्त महीने तक ट्रायल पूरा करने की डेडलाइन दी थी और कहा था कि कोर्ट जल्द से जल्द इस मामले में फैसला सुनाए, जिसके बाद स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने बाबरी विध्वंस केस में आखिरी फैसला सुनाने के लिए 30 सितंबर, 2020 को आखिरी तारीख तय की थी और 30 सितंबर को ही फैसला आया था।

इस हाई-प्रोफाइल केस में कुल 49 आरोपियों में से भारतीय जनता पार्टी के कई बड़े नेताओं- एलके आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती और कई अन्य नेता आरोपी हैं। कोर्ट ने फैसले वाले दिन सभी आरोपियों से कोर्ट में उपस्थित रहने को कहा था, हालांकि, इस मामले में कई आरोपी नेताओं का निधन हो चुका है और कई स्वास्थ्य कारणों से कोर्ट में उपस्थित नहीं हो सकते हैं।

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