
मुंबई पुलिस की अपराध शाखा ने मंगलवार को स्थानीय अदालत से कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate, ED) पुलिस जांच को ‘नुकसान पहुंचा’ रहा है और सचिन वाझे (Sachin Waze ) केंद्रीय एजेंसी के हाथों की बस एक कठपुतली है। गौरतलब है कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख (Anil Deshmukh) से जुड़े पीएमएलए मामले में बयान दर्ज करने के लिए बर्खास्त किए गए पुलिस अधिकारी सचिन वाझे की हिरासत मांगी है।
ED और अपराध शाखा की दलीलें सुनने के बाद, अदालत ने ED की अर्जी खारिज कर दी। मुंबई के उपनगरीय इलाके गोरेगांव में दर्ज जबरन वसूली के मामले के संबंध में वाजे को 13 नवंबर तक अपराध शाखा की हिरासत में भेजा गया था। ED मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह द्वारा राज्य के तत्कालीन गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ लगाए गए आरोपों से जुड़े धन शोधन मामले की जांच कर रहा है। इस मामले में वाझे भी आरोपी हैं। ED ने हाल ही में देशमुख को गिरफ्तार किया था और वह 13 नवंबर तक एजेंसी की हिरासत में हैं।
ED ने अपनी अर्जी में कहा कि उन्होंने देशमुख का बयान दर्ज कर लिया है और अब उनका वाझे से आमना-सामना कराने की जरूरत है। ED ने अदालत से कहा कि जितनी जल्दी संभव हो धन शोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) के तहत वाझे का बयान दर्ज करना और जांच के दौरान जुटाए गए साक्ष्यों से उनका आमना-सामना कराना आवश्यक है। हालांकि, अपराध शाखा की ओर से पेश विशेष लोक अभियोजक शेखर जगताप ने दलील दी कि कोई भी जांच एजेंसी द्वारा की जा रही जांच में हस्तक्षेप नहीं कर सकता।
बता दें कि सचिन वाझे ने मुंबई हाई कोर्ट में एक याचिका दायर कर तलोजा जेल से निकाल कर नजरबंद करने के अस्थायी स्थानांतरण की मांग की थी। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने वाझे को नजरबंद करके रखने का विरोध किया। एनआईए ने अदालत में आशंका व्यक्त की थी कि अगर वाझे को नजरबंद किया गया तो वे भाग सकते हैं और मामले में गवाहों के संबंध छेड़छाड़ कर सकते हैं।