भारत और पाकिस्‍तान के तल्‍ख संबंधों के बीच रूस ने शुरू की S-400 मिसाइल सिस्टम की आपूर्ति

भारत और पाकिस्‍तान के तल्‍ख संबंधों के बीच रूस ने भारत को S-400 मिसाइल सिस्टम की आपूर्ति शुरू कर दी है। उम्‍मीद की जा रही है कि इस मिसाइल सिस्टम की पहली यूनिट को इस साल के अंत तक आपरेशनल किया जा सकता है। रूस ने कहा है कि इसकी आपूर्ति तय समय से हो रही है। उधर, पाकिस्‍तान ने भी चीन से एयर डिफेंस सिस्‍टम लिया है। चीन ने पाकिस्तान के एयर डिफेंस को मजबूत करने के लिए एचक्यू-9 सिस्टम को सौंपा है। ऐसे में यह जिज्ञासा उत्‍पन्‍न होती है कि रूसी एस-400 और चीन के मिसाइल सिस्टम में क्‍या अंतर है।

पाकिस्तानी के पास है चीनी एयर डिफेंस सिस्‍टम

1- चीन ने अक्टूबर महीने में पाकिस्तान को स्वदेशी तकनीक पर विकसित हाई टू मिडियम एयर डिफेंस सिस्‍टम एचक्यू-9 सौंपा था। इस सिस्टम में लंबी दूरी तक सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें लगी होती हैं। इस मिसाइल सिस्टम को चाइना चीन प्रेसिजन मशीनरी इम्पोर्ट एंड एक्सपोर्ट कारपोरेशन ने विकसित किया है। इसकी लंबाई 6.8 मीटर और वजन करीब 2000 किलोग्राम तक होता है। यह हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइल, हेलीकाप्टर, विमान, मानव रहित विमान, गाइडेड बम और टैक्टिकल बैलिस्टिक मिसाइल जैसे कई खतरों को रोक सकता है।

2- चीन के पास एचक्यू-9 मिसाइल सिस्टम के कई वैरियंट है। इसकी अधिकतम रेंज 100 किमी से 300 किमी तक है। इसको शामिल किए जाने के बाद पाकिस्‍तान का दावा था कि इससे पाकिस्तान की हवाई सुरक्षा काफी मजबूत हुई है। पाक का यह भी दावा था कि यह एयर डिफेंस सिस्‍टम एक साथ कई लक्ष्‍यों को इंटरसेप्‍ट कर सकता है। विशेषज्ञों का दावा है कि चीन ने इस मिसाइल सिस्टम को रूस के एस-300 और अमेरिका के एमआईएम-104 पैट्रियट मिसाइल सिस्टम की तकनीक पर विकसित किया है।

3- चीन की एचक्यू-9 मिसाइल सिस्टम टू स्टेज में काम करती है। इसकी मिसाइल अधिकतम 4.2 मैक की स्पीड से उड़ान भर सकती है। यह मिसाइल 180 किग्रा के हाई एक्सप्लोसिव वारहेड को 200 किमी की अधिकतम सीमा और 30 किमी की ऊंचाई तक ले जा सकती है। इस मिसाइल सिस्टम की बैटरी में टाइप 120 लो-एल्टीट्यूड एक्विजिशन रडार, टाइप 305A 3D एक्विजिशन रडार, H-200 मोबाइल एंगेजमेंट रडार और टाइप 305B 3D एक्विजिशन रडार शामिल हैं। चीन ने अपने डिफेंस सिस्‍टम के अलग-अलग वैरियंट को पाकिस्तान के अल्जीरिया, ईरान, इराक, तुर्कमेनिस्तान और उजबेकिस्तान जैसे देशों को निर्यात किए हैं।

क्या है S-400 डिफेंस सिस्टम

1- यह एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम है, जो दुश्मन के एयरक्राफ्ट को आसमान से गिरा सकता है। यह दुश्मन के क्रूज, एयरक्राफ्ट और बलिस्टिक मिसाइलों को मार गिराने में सक्षम है। यह सिस्टम रूस के ही S-300 का अपग्रेडेड वर्जन है। यह एक ही राउंड में 36 वार करने में सक्षम है। भारतीय सेना में शामिल होने के बाद सीमाओं की सुरक्षा अधिक और हमले का खतरा कम हो जाता है। यह सिस्टम किसी भी संभावित हवाई हमले का पता पहले ही लगा लेता है। इससे दुश्‍मन के इरादों का पता पहले ही लग जाता है और सेना आसानी से सतर्क हो जाती है।

2- S-400 के रडार 100 से 300 टारगेट एक साथ ट्रैक कर सकते हैं। वह 600 किमी तक की रेंज में ट्रैकिंग कर सकता है। इसमें लगी मिसाइलें 30 किमी ऊंचाई और 400 किमी की दूरी में किसी भी टारगेट को भेद सकती हैं। इससे जमीनी ठिकानों को भी निशाना बनाया जा सकता है। एक ही समय में यह 400 किमी तक 36 टारगेट को एक साथ मार सकती है। इसमें 12 लांचर होते हैं, यह तीन मिसाइल एक साथ दाग सकता है और इसे तैनात करने में पांच मिनट लगते हैं।

3- यह दुनिया का सबसे अडवांस डिफेंस सिस्टम है। इसमें चार तरह की मिसाइल होती हैं। एक मिसाइल 400 किमी की रेंज वाली होती है, दूसरी 250 किमी, तीसरी 120 और चौथी 40 किमी की रेंज वाली होती है। रूस का यह हथियार अपनी कैटेगरी में दुनिया में सबसे बेहतरीन माना जाता है।

4- इसका पूरा नाम S-400 ट्रायम्फ है, जिसे नाटो देशों में SA-21 ग्रोलर के नाम से जाना जाता है। रूस द्वारा विकसित यह मिसाइल सिस्टम जमीन से हवा में मार करने में सक्षम है। इस मिसाइल डिफेंस सिस्टम को दुनिया का सबसे खतरनाक हथियार माना जाता है। एस-400 दुश्मन के हवाई हमलों को नाकाम करने में सक्षम है।

क्या काम करता है एयर डिफेंस सिस्टम

दरअसल, एयर डिफेंस सिस्‍टम किसी भी संभावित हवाई हमले का पहले पता लगाना और उसे लक्ष्‍य तक पहुंचने से रोकता है। यह लड़ाकू विमान कहां से हमला कर सकता है। इसके अलावा यह एंटी-मिसाइल दागकर दुश्मन विमानों और मिसाइलों को हवा में ही खत्म कर सकता है। भारत ने अब तक रूस से मारने वाले हथियार ही खरीदे हैं। पहली बार भारत रूस से S-400 डिफेंस सिस्टम खरीद रहा है।

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