RSS प्रमुख का बड़ा बयान, कहा- हर हाल में बनना चाहिए राम मंदिर, सरकार लाए कानून

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ आज अपना 93वां स्थापना दिवस मना रहा है। इस मौके पर नागपुर में संघ द्वारा पथ संचलन (रूट मार्च) का आयोजन किया गया। संघ प्रमुख मोहन भागवन की मौजूदगी में स्वयंसेवकों ने पथ संचलन किया। नोबोल पुरस्कार से सम्मानित और सामाजिक कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी भी संघ के वार्षिक विजयदशमी समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। मंच पर वे संघ प्रमुख के बगल में बैठे नजर आए। इस अवसर पर अपने वार्षिक भाषण में संघ प्रमुख ने अर्बन नक्सली से लेकर पाकिस्तान और चीन को भी निशाने पर लिया। 

भागवत के भाषण की मुख्य बातें 

बाबर का अत्याचार 
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए संघ प्रमुख मोहन भागवत ने एक बार फिर भारत को विश्वगुरु बनाने की बात दोहराई। उन्होंने कहा कि भारत अगर पंचामृत के मंत्र पर आगे बढ़ेगा तो एक बार फिर विश्वगुरू बन सकता है। वहीं, बाबर का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि एक भयानक आंधी बाबर के रूप में आई और उसने हमारे देश के हिंदू-मुसलमानों को नहीं बख्शा। बाबर नाम की इस बर्बर आंधी ने हमारे समाज पर अत्याचार किया।

सत्य, अहिंसा के आधार पर राजनीति 
भागवत ने कहा कि हमारे देश में राजनीति को लेकर कई प्रयोग हुए. महात्मा गांधी ने सत्य और अहिंसा के आधार पर राजनीति की कल्पना की। जिनका सूर्य कभी अस्त नहीं होता था ऐसे अंग्रेजों का सामना गांधी जी ने निहत्थे खड़े होकर सिर्फ अपने नैतिक बल के आधार पर किया।

निशाने पर पाकिस्तान
आगे उन्होंने कहा कि हम दुनिया में किसी से शत्रुता नहीं करते लेकिन हमसे शत्रुता करने वाले कई लोग हैं, हमें उनसे सतर्क रहने की जरूरत है। ऐसे लोगों से बचने का एक ही तरीका है कि हम इतना बलवान बने कि किसी की आक्रमण करने की हिम्मत ही न पड़े। उनका ये इशारा पाकिस्तान की ओर समझा जा रहा है। पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए मोहन भागवत ने आगे कहा कि पड़ोस में सरकार बदल गई लेकिन उनकी नीयत नहीं बदली।

चीन को भी घेरा
इस दौरान उन्होंने बिना नाम लेते हुए चीन पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कुछ शक्तियां मालदीव, श्रीलंका को अपनी तरफ करने की कोशिश कर रही हैं। भागवत ने कहा कि कई तरह के सुरक्षा उत्पादनों की खरीदी व्यापारिक दांवपेंच का हिस्सा होती है, इस लेनदेन के तरीके को बंद ना करें, बल्कि उसे इस तरह चलाएं कि अपनी सुरक्षा के लिए किसी पर निर्भर ना रहना पड़े। हमें अपने देश में ही सुरक्षा से जुड़ी चीजों को बनाना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘सैनिक सीमा पर अकेले हैं। उनकी सुरक्षा और उनकी परिवारों की सुरक्षा का दायित्व हमारा है। गोली का जवाब गोली से देने वालों की हिम्मत रखने वालों की चिंता कौन करेगा। इस बार में शासन प्रशासन द्वारा अनेक कदम उठाए गए हैं, इसकी गति बढ़ाए जाने की जरूरत है।’

अर्बन नक्सलियों पर बड़ा हमला
इस दौरान मोहन भागवन ने वामपंथियों और अर्बन नक्सलियों पर बड़ा हमला बोला है। वामपंथियों को निशाने पर लेते हुए भागवत ने कहा, ‘कुछ लोग हैं जो भारत के टुकड़े होने की बात करते हैं, संविधान को नहीं मानना चाहते, जो आतंकवादियों से संबंध रखते हैं।’ उन्होंने आगे कहा कि माओवाद हमेशा अर्बन ही रहा है, ये लोग समाज के उपेक्षित तबके का लाभ उठाते हैं, अभावग्रस्त छात्रों को भड़काते हैं। ये अर्बन नक्सली नए लोग जो उनके इशारे पर काम करें उन्हें स्थापित करने की कोशिश करते हैं। भागवत ने कहा कि हमारे देश में असंतोष है और उसके खिलाफ चल रहे आंदोलन में ये भी शामिल हो रहे हैं। सोशल मीडिया पर इसका प्रचार चल रहा है जिसका कंटेंट पाकिस्तान, इटली से चलता है। इसे निओ लेफ्ट कहते हैं जिसका प्रचलित शब्द है अर्बन माओवाद। माओवाद हमेशा से अर्बन रहा है।

सबरीमाला मुद्दे पर बोले भागवत
केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर छिड़ी जंग पर भागवत ने कहा कि स्त्री और पुरुष के बीच समानता अच्छी बात है, लेकिन इतने सालों से चली आ रही परंपरा और उसका पालन करने वालों लोगों की भावना का सम्मान नहीं किया गया, उनकी नहीं सुनी गई। उन्होंने कहा कि धर्म के मामलों में संबंधित धर्म के धर्माचार्यों से बातचीत करना आवश्यक होता है। सबको साथ लेकर भी धीरे-धीरे बदलाव किया जा सकता है।

कानून बनाकर राम मंदिर का निर्माण करे सरकार 
वहीं, राम मंदिर का जिक्र करते हुए संघ प्रमुख ने कहा कि कुछ लोग राजनीति की वजह से जानबूझकर मंदिर मामले को आगे खींचते जा रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘राम मंदिर हिंदू-मुसलमान का मसला नहीं है। यह भारत का प्रतीक है और जिस भी रास्ते से मंदिर निर्माण संभव है, मंदिर का निर्माण होना चाहिए।’ भागवत ने दोहराया कि रामजन्मभूमि पर जल्द से जल्द राम मंदिर बनना चाहिए। सरकार को कानून बनाकर मंदिर निर्माण करना चाहिए।

मोदी सरकार को नसीहत
एससी-एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मोदी सरकार द्वारा पलटने के बाद पैदा हुए गतिरोध को लेकर भागवत ने मोदी सरकार को भी नसीहत दी है। उन्होंने कहा कि समाज में फैल रहे असंतोष का हल करना होगा, दबे लोगों को उनका हक देना होगा। भागवत ने देश में हो रही आंतरिक हिंसा पर भी चिंता व्यक्त की । उन्होंने कहा कि भारत में होने वाली आंतरिक हिंसा हमारे देश के लिए ठीक नहीं है, हमें इस पर काम करने की जरूरत।

100 फीसद वोटिंग का आग्रह 
मोहन भागवत ने लोगों से चुनाव में 100 फीसद वोटिंग में हिस्सा लेने का आग्रह किया। साथ ही, कहा लोगों को जाति, भाषा और प्रांतीय संबद्धताओं के समान भावनाओं और अहंकार से उभरकर वोटिंग में हिस्सा लें। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक राजनीति की विशेषताएं ऐसी हैं कि किसी को भी पूरी तरह से सही या गलत माना जा सकता है। इस दौरान उन्होंने लोगों से नोटा का इस्तेमाल नहीं करने की भी अपील की। उन्होंने कहा कि राष्ट्रहित के लिए 100 फीसद वोटिंग जरूरी है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग भी 100 फीसद वोटिंग की अपील करता है और आरएसएस के स्वयंसेवक हमेशा इसका कर्तव्य के रूप में पालन करते हैं और इस बार भी करेंगे।

कैलाश सत्यार्थी बोले, मैं संघ का आभारी हूं
कार्यक्रम में शामिल हुए कैलाश सत्यार्थी ने विजयदशमी और संघ के स्थापना दिवस की हार्दिक बधाई दी और कहा, ‘आपने मुझे अपने स्थापना दिवस पर यहां आमंत्रित करके भारत के ही नहीं, बल्कि विश्व के करोड़ों वंचित और शोषित बच्चों की तरफ सम्मान, प्रेम और करुणा का हाथ बढ़ाया है। मैं उन सबकी तरफ से आपका ह्रदय से आभारी हूं।’

इस दौरान उन्होंने कहा कि आज से करीब 35 साल पहले जब वह एक मैगजीन में काम कर रहे थे, तब एक छोटी बच्ची को बेचा जा रहा था और इस घटना ने उनके विचारों को बदल दिया। उन्होंने आगे कहा कि इस दौर में दुनिया में बच्चों के लिए अच्छा माहौल नहीं है, लेकिन हमारे देश में हमेशा बच्चों को भगवान के रूप में देखा गया है। भारत में लगातार बच्चों के मुद्दों को लेकर तरक्की हुई है। हमारे यहां बाल मजदूरी की संख्या में भी कमी आ रही है।

कैलाश सत्यार्थी का पंचामृत
साथ ही, उन्होंने कहा कि देश की प्रगति के लिए जिस पंचामृत की जरूरत है, उसमें संवेदनशील भारत, समावेशी भारत, सुरक्षित भारत, स्वावलंबी भारत और स्वाभिमानी भारत शामिल है।

गौरतलब है कि इस कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री और पूर्व भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी, मशहूर गायक उस्ताद रशीद खान भी मौजूद रहे। 

बता दें कि संघ की ओर से हर साल की तरह इस साल भी विजयदशमी उत्सव में शस्त्र पूजन किया गया। अपने स्थापना दिवस को संघ पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाता है। 

बता दें कि पिछले वर्ष भागवत ने रोहिंग्या संकट, गोरक्षा, जम्मू-कश्मीर और सर्जिकल स्ट्राइक जैसे मुद्दों पर अपने विचार व्यक्त किये थे। हाल में दिल्ली में हुए संघ के कार्यक्रम में मोहन भागवत आरक्षण, एकल विवाह, एससी/एसटी कानून, नोटा, धर्म-परिवर्तन, मॉब लिंचिंग जैसे कई अहम मुद्दों पर अपने विचार व्यक्त किए थे। 

क्यों खास है विजयदशमी?
बता दें कि 1925 में विजयदशमी के दिन ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की स्थापना हुई थी। तब से हर साल विजयदशमी के मौके पर संघ अपने स्थापना दिवस को बड़े स्तर पर मनाता आया है। संघ इसे विजय दिवस के रूप में मनाता है। 27 सितंबर, 1925 को दुनिया के सबसे बड़े स्वयंसेवी संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना केशव बलराम हेडगेवार ने की थी।

कौन हैं कैलाश सत्यार्थी?

  • कैलाश सत्यार्थी बचपन बचाओ आंदोलन के संस्थापक हैं।
  • सत्यार्थी का संगठन बालश्रम को खत्म करने और बच्चों के पुनर्वास के लिए काम करता है।
  • उन्हें इस सामाजिक कार्य के लिए साल 2014 में नोबेल शांति पुरस्कार मिल चुका है।
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