बिहार: जदयू के तेवर से राजद-कांग्रेस में बढ़ी बेचैनी, राजद ने कहा-यह चालाकी है

पटना। सत्तारूढ़ जदयू के ताबड़तोड़ सियासी फैसलों ने पिछले कुछ दिनों से राजद-कांग्रेस को परेशान कर रखा है। पासवान जाति को महादलित में शामिल करने, खालिद अनवर को विधान परिषद भेजने और रामवनमी के मौके पर उपद्रवियों पर सख्ती की शैली में छिपे जदयू के मकसद को राजद जितना समझने की कोशिश कर रहा है, उसकी बेचैनी उतनी ही बढ़ती जा रही है। बिहार: जदयू के तेवर से राजद-कांग्रेस में बढ़ी बेचैनी, राजद ने कहा-यह चालाकी हैबिहार: जदयू के तेवर से राजद-कांग्रेस में बढ़ी बेचैनी, राजद ने कहा-यह चालाकी है

राजद प्रमुख लालू प्रसाद के जेल जाने के बाद न्यायिक एवं सियासी मोर्चे पर भाजपा-जदयू जैसे संगठित एवं व्यवस्थित दलों से मुकाबला कर रहे नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के सामने फिलहाल अपने परंपरागत वोट बैंक की हिफाजत करना बड़ी चुनौती है। संसदीय चुनाव के पूर्व बढ़ती सियासी सरगर्मी के बीच जदयू नेतृत्व वाली राजग सरकार द्वारा लिए गए हाल के कुछ फैसलों ने विरोधी दलों को बता-जता दिया है कि शांति, सद्भाव और सुशासन के मुद्दे पर कोई समझौता नहीं होने वाला है।

जदयू के भाजपा के साथ बिहार में सरकार बनाने के बाद अपने परंपरागत अल्पसंख्यक वोटरों की गोलबंदी के प्रति आश्वस्त दिख रहे राजद को रामनवमी के मौके पर उस समय झटका लगा था, जब तनाव के हालात से निपटने के लिए कड़े और बड़े फैसले लेते हुए पुलिस-प्रशासन को चौकस कर दिया गया था।

राजद के रणनीतिकार इस कदम को माय (मुस्लिम-यादव) समीकरण में सेंध लगाने की जदयू की कोशिशों के रूप में देखने लगे। तेजस्वी यादव के बयानों में भी यह बेचैनी साफ-साफ झलकने लगी। इसकी वजह है कि राज्य में मुस्लिमों की आबादी को राजद का वोट बैंक के रूप में माना जाता है। 

राजद से छिना पासवान का मुद्दा 

गठबंधन बदलकर जीतनराम मांझी के राजद-कांग्र्रेस के साथ खड़ा होने से उत्साहित तेजस्वी को जदयू ने दोहरा झटका देने की कोशिश की। पहले कांग्र्रेस के चार एमएलसी ने जदयू में निष्ठा व्यक्त करके महागठबंधन को परेशान कर दिया। बाद में पासवान जाति को महादलित का दर्जा देकर सत्तारूढ़ जदयू ने विपक्षी दलों से एक बड़ा मुद्दा छीन लिया। पासवान के मुद्दे पर तेजस्वी कुछ दिनों से राज्य सरकार पर हमलावर थे। वह रामविलास पासवान को भी लगातार घेरने की कोशिश कर रहे थे।

राजद के प्रधान महासचिव आलोक मेहता के मुताबिक ये फैसले नहीं, चालाकी है। नीतीश सरकार ने पासवान को पहले महादलित से क्यों अलग किया था और अब क्यों शामिल कर लिया। जाहिर है, मंशा कल्याण की नहीं है, वोट लेने की है। जनता सब समझ रही है। 

वोट विभाजन का डर 

जदयू की ओर से खालिद अनवर को विधान परिषद भेजे जाने के फैसले से राजद की तैयारी में विघ्न तो आया ही, कांग्रेस की भी परेशानी बढ़ी है। विधान परिषद में अपने हिस्से की एकमात्र सीट पर ब्राह्मण प्रतिनिधि प्रेमचंद मिश्रा को निर्वाचित कराने वाली कांग्र्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कौकब कादरी ने खालिद को दीन बचाओ, देश बचाओ कान्फ्रेंस का प्रत्याशी माना और कहा कि जदयू और भाजपा की मंशा संसदीय चुनाव से पहले बिहार में ध्रुवीकरण कराने की है। कादरी के बयान में अल्पसंख्यक मतों में विभाजन का डर साफ दिख रहा है। 

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