कोरोना के बीच आई राहत भरी खबर, बच्चों ने पास किया कोविड-19 टीका

कोरोना के खिलाफ जंग में उम्मीद की नई किरण जगी है। फाइजर-बायोएनटेक की ओर से विकसित कोविड-19 टीका बच्चों की ‘परीक्षा’ में पास हो गया है। इजरायल में 12 से 16 साल के जिन 600 बच्चों को यह टीका लगाया गया, उनमें से किसी में भी गंभीर साइडइफेक्ट नहीं उभरे हैं। यह शोध क्लीनिकल परीक्षण के नतीजे आने से पहले ही इस बात का संकेत देता है कि कोविड टीकाकरण बच्चों के लिए भी सुरक्षित साबित हो सकता है।

इजरायल के स्वास्थ्य मंत्री ने उन किशोरों के टीकाकरण का सुझाव दिया है, जो उन्हें कोरोना संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील बनाने वाली बीमारियों से जूझ रहे हैं। इजरायल में टीकाकरण कार्यबल के प्रमुख बोज लेव ने कहा, ‘हमने अभी तक 600 बच्चों को फाइजर के कोविड-19 टीके की खुराक दी है। हमें किसी भी बच्चे में कोई गंभीर दुष्प्रभाव नहीं नजर आया। मामूली साइडइफेक्ट के मामले भी बेहद कम सामने आए। ये निष्कर्ष बेहद प्रोत्साहक हैं।’

बच्चों पर आजमाइश की तैयारीफाइजर 12 से 15 साल के बच्चों पर अपने कोविड-19 टीके की आजमाइश में जुटी है। कंपनी जल्द पांच से 11 वर्ष के बच्चों पर भी परीक्षण शुरू कर सकती है। उधर, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने भी छह साल से ऊपर के बच्चों पर एस्ट्राजेनेका की बनाई वैक्सीन को आजमाने की घोषणा की है। हालांकि, इन अध्ययनों के नतीजे आने में कई महीने का समय लग सकता है।

इजरायल में टीकाकरण तेज
इजरायल में आधी से ज्यादा आबादी को कोरोना टीके की कम से कम एक खुराक दी जा चुकी है। अगले कुछ हफ्तों में 60 फीसदी से अधिक लोगों का टीकाकरण पूरा कर लिया जाएगा। संक्रामक रोग विशेषज्ञों का मानना है कि इतनी आबादी के कोरोना के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता हासिल कर लेने पर देश में ‘हर्ड इम्युनिटी’ की शुरुआत हो सकती है। इससे वायरस खुद बेअसर होने लगेगा।

‘हर्ड इम्युनिटी’ की बाधा दूर करने की कवायद
90 लाख अनुमानित आबादी वाले इजरायल में लगभग 25 फीसदी लोगों की उम्र 16 साल से कम है। चूंकि, फाइजर का टीका लगवाने के लिए लाभार्थियों का कम से कम 16 वर्ष का होना जरूरी है, ऐसे में देश के टीका अधिकारी इसे ‘हर्ड इम्युनिटी’ हासिल करने की दिशा में बड़ी चुनौती मान रहे हैं। उन्होंने बच्चों पर वैक्सीन आजमाने की कवायद तेज कर दी है, ताकि वायरस पर जीत दर्ज करने में मदद मिल सके। अप्रैल-मई तक देश में बच्चों के टीकाकरण को मंजूरी मिल सकती है।

अभिभावकों का रुख
-41% इजरायली अभिभावक ही बच्चों को कोविड टीका लगवाने को तैयार
-29% माता-पिता छह से 15 वर्ष तक के बच्चों के टीकाकरण के पक्ष में नहीं
-30% इस बात को लेकर स्पष्ट नहीं कि वे बच्चों को वैक्सीन लगवाएंगे या नहीं
(स्रोत : रुषिनेक रिसर्च इंस्टीट्यूट का सर्वे)

भारत ने भी असर आंकना शुरू किया
स्वास्थ्य मंत्रालय ने मार्च की शुरुआत में संकेत दिए थे कि भारत में बच्चों पर कोविड-19 टीके का असर आंकने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। उधर, भारत बायोटेक ने भी केंद्र सरकार से 5 से 18 साल के बच्चों पर ‘कोवैक्सीन’ के परीक्षण की इजाजत मांगी है। उसने वयस्कों पर तीसरे दौर के क्लीनिकल परीक्षण में टीके के 81 फीसदी प्रभावी होने का दावा किया है।

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