रविशंकर प्रसाद का बड़ा बयान, कहा- रूसी निवेशकों के लिए भारत की बढ़ती डिजिटल अर्थव्यस्था में बड़े मौके 

सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने शुक्रवार को रूसी निवेशकों से भारत में कृत्रिम मेधा (एआई) और ई-स्वास्थ्य जैसे बाजारों में तेजी से हो रहे विस्तार का लाभ उठाने के लिए आमंत्रित किया है। उनका कहना है कि इससे दोनों ही देशों में नयी प्रौद्योगिकी के विकास की गति तेज होगी। रविशंकर प्रसाद का बड़ा बयान, कहा- रूसी निवेशकों के लिए भारत की बढ़ती डिजिटल अर्थव्यस्था में बड़े मौके 

उन्होंने कहा कि भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था तीन चार साल में 1,000 अरब डॉलर के आंकड़े को छू जाएगी। इससे ई-वाणिज्य, सूचना प्रौद्योगिकी, संचार और इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण जैसे क्षेत्रों में कारोबार की व्यापक संभावनाएं हैं। प्रसाद यहां भारत-रूस व्यापार शिखर सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। इस सम्मेलन का आयोजन भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने किया है।

भारत-रूस संबंधों को ‘विश्वास, समझ और परस्परता’ आधारित करार देते हुए प्रसाद ने कहा कि अधिकतर मुद्दों पर दोनों देशों का एक साझा वैश्विक दृष्टिकोण है। राजनीतिक बदलाव और अन्य अंतरों के बावजूद यह बरकरार है। प्रसाद ने कहा कि दोनों देशों के ‘रिश्ते नयी ऊंचाई पर हैं’ और इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन की निजी दोस्ती और समझ की बड़ी भूमिका है।’

भारत की कुशल मानव संसाधन और नवोन्मेष शक्ति एवं रूस की तकनीकी ताकत का उल्लेख करते हुए प्रसाद ने कहा कि भारत भी एआई, ई-स्वास्थ्य और ई-शिक्षा जैसे उभरते क्षेत्रों में बेहतर संभावनाओं वाला देश है। यहां का स्टार्टअप क्षेत्र भी तेजी से बढ़ रहा है।

प्रसाद ने कहा, ‘जब मैं डिजिटल अर्थव्यवस्था की बात करता हूं, तो यह पहले ही एक गति को प्राप्त कर चुकी है और उद्योगपतियों, सूचना प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों एवं पेशेवरों और स्टार्टअप के लिए अवसरों का निर्माण कर रही है। भारत में स्टार्टअप का एक बड़ा अभियान है और अभी 5,000 से ज्यादा स्टार्टअप हैं। यह सब एक बड़ी कहानी को कहते हैं और मेरा आप सभी से अनुरोध है कि आप भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था में भागीदार बनें।’ उन्होंने कहा कि भारत के सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग की सफलता यहां मौजूद कुशल योग्यता और कम लागत की प्रौद्योगिकी के बलबूते है। देश में 1.21 अरब मोबाइल फोन हैं जिसमें 45 करोड़ स्मार्टफोन हैं। देश के 1.22 अरब नागरिकों के पास आधार है जो उनकी डिजिटल पुष्टि करने वाली पहचान सुनिश्चित करता है।

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