उम्रकैद की सजा मिलने के बाद रामपाल ने बोली ऐसी बात, जज ने दिया करारा जवाब

एक बच्चे और 4 महिलाओं की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा मिलने के बाद रामपाल गिड़गिड़ाने लगा और उसने ऐसी बात कही, जिसका जज ने करारा जवाब दिया। हरियाणा में हिसार जिले में बरवाला के सतलोक आश्रम में साल 2014 में हुई एक बच्चे और चार महिलाओं की हत्या में दोषी आश्रम संचालक रामपाल और उसके बेटे विजेंद्र उर्फ विरेंद्र सहित सभी 15 दोषियों को अदालत ने मंगलवार को उम्रकैद की सजा सुनाई है।

एडीजे देशराज चालिया की अदालत ने सभी दोषियों पर तीन धाराओं में 2.5-2.5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। जुर्माना नहीं देने पर इनकी संपत्ति जब्त कर ली जाएगी। सजा पाने वालों में तीन महिलाएं हैं। आईपीसी की धारा-302, 120-बी और धारा-343 में अलग-अलग मिली सजाएं एक साथ चलेंगी। रामपाल के वकील का कहना है कि वह फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करेंगे।

किस धारा में कितनी सजा
केस नंबर-429 में अदालत ने आईपीसी की धारा-302 में सभी दोषियों को आजीवन कारावास और 1-1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। धारा-120 बी में भी सभी को उम्रकैद और 1-1 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। इसके अलावा धारा-343 में दो साल का कारावास और 5-5 हजार रुपये जुर्माना लगाया है।

मैं आदतन अपराधी नहीं

मैं कबीर भक्त हूं और सामाजिक कार्य करता हूं। ब्लड डोनेशन और स्वास्थ्य कैंप लगाता हूं। गरीबों की मदद करता हूं। पेड़-पौधे लगवाता हूं। भ्रूण हत्या रोकने और दहेज रहित शादियां व नशा मुक्त समाज के लिए कार्य करता हूं। घटना के समय से बीमार था। आने-जाने पर डॉक्टर की तरफ से मनाही थी। मैंने किसी को नहीं उकसाया। जो कार्रवाई हुई, वह पुलिस की तरफ से हुई। मेरे चरित्र पर कोई दाग नहीं है, न ही मैं आदतन अपराधी हूं मुझ पर दया की जाए।
– रामपाल, बरवाला सतलोक आश्रम संचालक, फैसले से न्यायाधीश के सामने गिड़गिड़ाते हुए

अपराध की सजा भुगतनी होगी
मैं खुद कबीर भक्त हूं और दोहे सुनता हूं। कोर्ट आते समय मेरी गाड़ी में कबीर के दोहे चलते हैं। कबीर की साधना के लिए व्यक्ति विशेष की आवश्यकता नहीं है। धर्म की आड़ लेकर अपराध से बच नहीं सकते। जो सजा दी जा रही है, वह तथ्य और नियमों के आधार पर दी जा रही है। अपराध की सजा भुगतनी होगी। आखिरी क्षणों में यह केस मुझे सौंपा गया है। तारीखें पहले ही बाउंड थीं मुझे तय समय में फैसला करना था। सबने जो सहयोग किया, उसका धन्यवाद।
– देशराज चालिया, अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश रामपाल की दया की गुहार पर

इस तरह चली पूरी कार्रवाई

गौरतलब है कि अदालत की अवमानना के मामले में बरवाला स्थित सतलोक आश्रम के संचालक रामपाल को हाईकोर्ट में पेश होना था, लेकिन वह पेश नहीं हुआ। इसके बाद अदालत ने गिरफ्तारी वारंट जारी किया। पुलिस रामपाल को 19 नवंबर 2014 को गिरफ्तार करने आश्रम पहुंची तो उसके समर्थकों ने विरोध कर दिया।

इस दौरान हुई हिंसा में एक डेढ़ साल के बच्चे और चार महिलाओं की मौत हो गई। इसके बाद रामपाल और अन्य लोगों को गिरफ्तार किया गया। मामले में पुलिस ने रामपाल सहित 15 लोगों को आरोपी बनाया। 45 गवाह बनाए, जिसमें अधिकतर डाक्टर और पुलिस कर्मचारी थे। केस दर्ज कराने वाले छह गवाह अपने बयान से मुकर भी गए।

मामले की सुनवाई के लिए हिसार की सेंट्रल जेल नंबर-वन में विशेष अदालत लगाई गई। तीन साल 10 माह 22 दिन बाद 11 अक्तूबर को अदालत ने केस नंबर-429 में रामपाल और उसके बेटे सहित 15 आरोपियों को आईपीसी की धारा-302, 120बी और धारा 343 में दोषी करार दिया था। मंगलवार को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच सुबह 11: 24 बजे अदालत में कार्यवाही शुरू हुई।

केस के सभी 15 दोषियों को सेंट्रल जेल नंबर-2 से जेल नंबर-1 में कड़ी में लाया गया। एडीजे देशराज चालिया की अदालत ने दोपहर 12: 34 बजे अपना फैसला सुनाया।

इनकी हुई थी मौत  
सतलोक आश्रम प्रकरण हिंसा में 16 नवंबर को पांच महिलाओं और एक डेढ़ साल के बच्चे की मौत हो गई थी। मृतकों में रोहतक के भगवतीपुर निवासी संतोष (45), दिल्ली की कविता (31), यूपी के बिजनौर की राजबाला (70), पंजाब के संगरूर की मलकीत कौर (50 ) और डेढ़ साल के बच्चे आदर्श की मौत हो गई थी। हत्या के मामले में पुलिस ने केस नंबर-429 दर्ज किया था। केस में कुल 15 आरोपी बनाए थे।

इन दोषियों को हुई सजा

मामले में 15 आरोपियों पर आईपीसी की धारा 302, 343 और 120बी के तहत केस दर्ज किया था। इसमें छह मुख्य आरोपियों आश्रम संचालक सोनीपत के गांव धनाना का रामपाल, उसका बेटा विरेंद्र उर्फ विजेंद्र, हिसार के गांव उगालन निवासी जोगेंद्र उर्फ बिल्लू, भिवानी के इमलौटा गांव निवासी राजकपूर उर्फ प्रीतम, सोनीपत के गांव बढ़गांव निवासी राजेंद्र और बरवाला की बबीता के अलावा गुरुग्राम निवासी देवेंद्र, सिरसा निवासी जगदीश, पानीपत निवासी खुशहाल सिंह, जींद निवासी सतबीर व सोनू दास, सिरसा निवासी सुखबीर, भिवानी की पूनम, जींद निवासी सावित्री, गुरुग्राम के सूरत नगर के अनिल को वीरवार को दोषी करार दिया गया था और मंगलवार को सजा सुनाई गई।
 
केस में 64 बार सुनवाई
केस नंबर 429 में तीन साल 10 महीने और 22 दिन तक चली सुनवाई में वीरवार को सभी आरोपी दोषी करार दिए गए थे। मंगलवार को अदालत ने अपना फैसला सुनाया। अदालत में इस मामले की कुल 64 बार सुनवाई हुई।

– नवंबर 2014 में हिसार स्थित रामपाल की गिरफ्तारी के समय सतलोक आश्रम में हुई थी हिंसा
– 03 साल 10 माह 22 दिन चला मामला, 64 बार सुनवाई हुई
– तीन बार लगाई जमानत याचिका, हर बार खारिज
– 70 गवाह कुल पेश हुए दोनों केसों में, 11 वकीलों ने की रामपाल पक्ष की पैरवी

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