रामनवमी पूजा विधि, ऐसे करें 2 मिनट में संपूर्ण रामायण का पाठ

रामनवमी हर साल चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाती है। इसके पीछे ऐसी मान्यता है कि त्रेतायुग में रावण और दूसरे असुरों का अंत करने के लिए भगवान विष्णु ने सातवां अवतार इसी तिथि को लिया था। गोस्वामी तुलसीदास जी ने भी रामचरित मानस में लिखा है कि ‘नौमी तिथि मधुमास पुनीता, सुकल पच्छ अभिजित हरिप्रीता। मध्य दिवस अति सीत न धामा, पावन काल लोक विश्रामा।।”

 

रामनवमी पूजा विधि, ऐसे करें 2 मिनट में संपूर्ण रामायण का पाठभगवान राम का जन्म कब हुआ
रामचरित मानस के इस दोहे से यह स्पष्ट होता है कि जगत में शांति और धर्म की व्यवस्था के लिए चैत्र मास में दोपहर के समय अभिजित मुहूर्त में भगवान राम ने अवतार लिया था। भगवान राम के प्राकट्य दिवस के अवसर पर भक्तजन व्रतोपवास रखकर पूजन किया करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इससे दैहिक और दैविक ताप का अंत होता है और मुक्ति का मार्ग सरल होता है।

रामनवमी इसलिए 25 मार्च को मनाई जा रही
लेकिन तिथियों की गणना के अनुसार साल 2018 में रामनवमी अष्टमी तिथि में मनेगी क्योंकि इस साल नवमी तिथि का क्षय हो गया है। ऐसे में वामन पुराण के नियमों का पालन करते हुए अष्टमी से युक्त नवमी तिथि में मृगशिरा नक्षत्र में 25 मार्च को रामनवमी का त्योहार मनाया जाना शुभ रहेगा।

रामनवमी के दिन पूजा पाठ विधि
ऐसी लोक मान्यता है कि रामनवमी के दिन भगवान विष्णु के सातवें अवतार भगवान श्रीराम की कथाओं का पाठ करना बहुत ही पुण्यदायी होता है। इस दिन रात्रि जागरण करते हुए रामायण का पाठ करने से आत्मिक शुद्धि होती है और पाप कट जाते हैं। अगर आपके पास समय की कमी हो तो 2 मिनट में संपूर्ण रामायण के पाठ का लाभ पा सकते हैं। कलियुग में लोगों के पास समय की कमी को ध्यान में रखते हुए महर्षि वाल्मीकि ने एक श्लोकी रामयाण की भी रचना की थी जिसमें संपूर्ण रामायण का सार है-
अदौ राम तपोवनादि गमनं हत्वा मृगं कांचनम्। वैदेही हरणं जटायु मरणं सुग्रीव संभाषणम्।
वालि निग्रहणं समुद्र तरणं लंका पुरी दास्हम्। पाश्चाद् रावण कुंभकर्ण हननं तद्धि रामायणम्।

तुलसीदास जी ने भी बालकाण्ड के तीसरे दोहे में एक श्लोकी रामायण की रचना की है आप चाहें तो इसका पाठ भी कर सकते हैं-
‘नीलाम्बुजश्यामलकोमलाङ्गं सीतासमारोपितवामभागम् पाणौ महासायकचारुचापं युद्ध नमामि रामं रघुवंशनाथम्’

रामायण पाठ करने के नियम
पवित्र भाव से हाथ पैर धोकर भगवान राम की प्रतिमा या तस्वीर के सामने ध्यान लगाकर दिन में किसी भी समय 9 बार इस एक श्लोकी रामायण का पाठ करने मात्र से संपूर्ण रामायण के पाठ का फल मिल जाता है।

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