राजस्थान: टीकाराम जूली बोले- बीजेपी सरकार ने राजस्थान को रेपिस्तान बना दिया

राजस्थान विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता टीकाराम जूली ने कहा कि पिछले 11 महीने से सर्कस वाली भारतीय जनता पार्टी की सरकार प्रदेश के जनहित के मुद्दों को नजरअंदाज कर केवल समीक्षा में उलझी हुई है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार की जनहितैषी योजनाओं का यह सरकार गला घोंटने का काम कर रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कानून व्यवस्था बेपटरी हो गई है। जूली बोले कि राजस्थान का दम भरने वाली भाजपा की सरकार ने राजस्थान को रेपिस्तान बना दिया है।

उन्होंने कहा कि पिछले 11 महीने से जरूरतमंद राशन किट के लिए भटक रहा है। बुजुर्ग पेंशन के लिए पथरीली निगाहों से सरकार की ओर देख रहे हैं। युवा बेरोजगारी भत्ते के लिए तरस गया है और विद्यार्थी छात्रवृत्ति आने की आस में समय बिता रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश के हालात भयावह हो गए हैं। पानी और बिजली जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए जनता दर-दर की ठोकर खा रही है। उन्होंने कहा कि इस सरकार के मंत्रियों के बोल भी बेलगाम हो गए हैं। जनता की समस्याओं को सुनना तो दूर वे समस्याएं सुलझाने की बजाय जनप्रतिनिधियों को ही धरना देने की नसीहत दे रहे हैं।

उन्होंने कहा कि ईआरसीपी को लेकर भी कोरी राजनीति की जा रही है। जूली बोले, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया की 13 जिलों को पानी उपलब्ध कराने वाली ईआरसीपी योजना को पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजस्थान सरकार के अलग से बजट के माध्यम से आगे बढ़ाया, जिससे कि ईसरदा और नवनेरा बांध का निर्माण हुआ। कांग्रेस सरकार की इस पेयजल योजना का प्रदेश के मुख्यमंत्री हेलीकॉप्टर से निरीक्षण कर अपनी थोथी पीठ थपथपा रहे हैं। 

उन्होंने कहा कि राजस्थान प्रदेश के जल शक्ति मंत्री और 25 सांसद होने के बावजूद भी आज भी प्रदेश की जनता ईस्टर्न कैनाल प्रोजेक्ट योजना के लिए उम्मीदों भरी निगाहों से देख रही है। जूली ने प्रदेश के मुख्यमंत्री पर तंज कसते हुए कहा कि मुख्यमंत्री बड़ी जल्दबाजी में विदेशी दौरे कर रहे हैं, जिसकी बदौलत उन्हें यह भी नहीं पता कि राजस्थान में हो रहे उपचुनाव में उनके प्रत्याशियों का नाम क्या है। रामगढ़ में आयोजित भाजपा प्रत्याशी की जनसभा में वह अपने प्रत्याशी का नाम तक सही नहीं बोल पाए और पर्ची से चल रही फिर वही पर्ची वाली सरकार को आखिर पर्ची की जरूरत पड़ी और पीछे से किसी ने पर्ची पहुंचाई की नाम जसवंत नहीं सुखवंत है।

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