राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रपति भवन के ख़र्चे में कटौती के लिए बड़े क़दम उठाने का फ़ैसला किया

कोरोना वायरस से लड़ाई में आगे क़दम बढ़ाते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रपति भवन के ख़र्चे में कटौती के लिए आज कुछ बड़े क़दम उठाने का फ़ैसला किया. 

 राष्ट्रपति भवन से दी गई आधिकारिक जानकारी के मुताबिक़, राष्ट्रपति ने इस साल अपनी सैलरी में हर महीने 30 फ़ीसदी कटौती करने का फ़ैसला किया है. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद पहले भी अपनी एक महीने की सैलरी पीएम केयर्स फंड में दान कर चुके हैं.
इसके अलावा 6 अन्य बड़े फ़ैसले भी लिए गए हैं. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस साल लिमोजिन खऱीदने का फ़ैसला स्थगित कर दिया है. लिमोजिन का इस्तेमाल गणतंत्र दिवस या ऐसे अन्य औपचारिक समारोहों में होते हुए हम सबने देखा है जिसमें राष्ट्रपति ख़ुद बैठकर आते हैं. उसकी जगह राष्ट्रपति भवन और सरकार के पास उपलब्ध साधनों का इस्तेमाल आदान प्रदान के तौर पर किया जाएगा.
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने घरेलू दौरों और कार्यक्रमों में भी कटौती करने का फ़ैसला किया है. इससे खर्चों में कटौती में तो मदद मिलेगी ही, साथ ही सोशल डिस्टेंशिंग के नियमों के पालन में भी मदद मिलेगी. इसकी जगह राष्ट्रपति तकनीक के माध्यम से बाहर होने वाले समारोहों और कार्यक्रमों में भाग लेंगे. इसके साथ ही राष्ट्रपति भवन के अलग अलग कार्यालयों में भी पेपर वर्क में कटौती कर तकनीक का ज़्यादा से ज़्यादा इस्तेमाल किया जाएगा. कार्यालयों को इको फ्रेंडली बनाने के लिए ऊर्जा आउट ईंधन में बचत करने का निर्णय हुआ है.
राष्ट्रपति ने निर्देश दिया है कि चालू वित्तीय वर्ष 2020-21 में कोई नया काम हाथ में नहीं लिया जाएगा. जो काम पहले से चल रहा है उसे ही पूरा करने का निर्देश दिया गया है. राष्ट्रपति भवन के रख रखाव पर होने वाले सालाना ख़र्चे को भी न्यूनतम रखने की हिदायत दी गई है. केवल उन्हीं कामों को करने का आदेश है जो भवन के रखरखाव और सजावट के लिए अत्यंत ज़रूरी हो.
हालांकि राष्ट्रपति भवन ने साफ़ किया है कि इस फ़ैसलों का असर उन कर्मचारियों पर नहीं पड़ेगा जो कॉन्ट्रैक्ट पर काम करते हैं. यही नहीं, ये भी साफ़ किया गया है कि ग़रीबों के लिए राष्ट्रपति भवन की ओर से चलाए जा रहे काम भी पहले की तरह जारी रहेंगे.

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