इन शहरों से सीधे गुजरात पहुंच सकेंगे आप, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन आठ ट्रेनों को दिखाई हरी झंडी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज गुजरात के केवडिया को देश के विभिन्न क्षेत्रों से जोड़ने वाली आठ ट्रेनों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। यह एक्सप्रेस ट्रेन सेवा दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा स्टैचू ऑफ यूनिटी जाने वाले पर्यटकों के लिए शुरू की जा रही है।

प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की तरफ से शुक्रवार को ही जारी बयान में कहा गया है कि वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये आयोजित इस कार्यक्रम में पीएम मोदी गुजरात से जुड़े और कई रेल परियोजनाओं का भी उद्घाटन करेंगे। बता दें कि केवडिया में देश के पहले गृह मंत्री और लौह पुरुष माने जाने वाले सरदार वल्लभ भाई पटेल की विशाल प्रतिमा है, जिसे स्टैच्यू ऑफ यूनिटी नाम दिया गया है।

– पीएम मोदी ने कहा- पर्यटकों को घुमाने के लिए एकता क्रूज है, तो दूसरी तरफ नौजवानों को साहस दिखाने के लिए राफ्टिंग का भी इंतेजाम है। यानी बच्चे, युवा और बुजुर्ग सभी के लिए बहुत कुछ है।

– उन्होंने कहा- एक तरफ आयुर्वेद और योग पर आधारित आरोग्य वन है, तो दूसरी तरफ पोषण पार्क है। रात में जगमगाता ग्लो गार्डन है, तो दिन में देखने के लिए कैक्टस गार्डन और बटरफ्लाई गार्डन है।

– प्रधानमंत्री ने कहा कि छोटा सा खूबसूरत केवड़िया इस बात का बेहतरीन उदाहरण है कि कैसे प्लान तरीके से पर्यावरण की रक्षा करते हुए इकोनॉमी और इकोलॉजी दोनों का तेजी से विकास किया जा सकता है।

-पीएम मोदी ने कहा- स्टैच्यू ऑफ यूनिटी और सरदार सरोवर बांध की भव्यता और विशालता का एहसास आप केवडिया पहुंचकर ही कर सकते हैं। अब यहां सैकड़ों एकड़ में फैला जूलॉजिकल पार्क है, जंगल सफारी है।

-पीएम मोदी ने कहा- आज का ये आयोजन सही मायने में भारत को एक करती, भारतीय रेल के विजन और सरदार वल्लभ भाई पटेल के मिशन दोनों को परिभाषित कर रहा है।

-उन्होंने कहा कि केवड़िया जगह भी ऐसी है जिसकी पहचान एक भारत-श्रेष्ठ भारत का मंत्र देने वाले, देश का एकीकरण करने वाले सरदार पटेल की सबसे ऊंची प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी, सरदार सरोवर बांध से है।

-पीएम मोदी ने कहा- रेलवे के इतिहास में संभवतः पहली बार ऐसा हो रहा है कि जब एक साथ देश के अलग अलग कोने से एक ही जगह के लिए इतनी ट्रेनों को हरी झंडी दिखाई गई हो।

-प्रधानमंत्री ने यहां कहा कि एक भारत – श्रेष्ठ भारत की बहुत सुंदर तस्वीर आज यहां दिख रही है। आज इस कार्यक्रम का रूप स्वरूप बहुत विशाल है, अपने आप में ऐतिहासिक है।

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