छठ पूजा को लेकर राजनीतिक घमासान, मनोज तिवारी के बिगड़े बोल केजरीवाल को कही यह बड़ी बात
दिल्ली में कोरोना संक्रमण की वजह से सार्वजिनक रूप से छठ पूजा पर बंदिश राजनीतिक घमासान की वजह बन गया है।
भाजपा ने इस मुद्दे पर केजरीवाल सरकार के खिलाफ खोल दिया है। भाजपा सांसद और दिल्ली बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष मनोज तिवारी ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को नमक हराम कहते हुए खूब खरी-खोटी सुनाई है, तो उत्तरी दिल्ली के महापौर जय प्रकाश ने कहा है कि वह मुख्यमंत्री औऱ उप-राज्यपाल को पत्र लिखकर फैसले पर पुनर्विचार की अपील करेंगे। इससे पहले मंगलवार को भी भाजपा के पूर्वांचल प्रकोष्ठ के कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री केजरीवाल के घर के बाहर धरना-प्रदर्शन कर रोष व्यक्त किया था।
मनोज तिवारी ने बुधवार को अपने ऑफिसियल ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर कहा, ”कमाल के नमक हराम मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल हैं। कोविड के सोशल डिस्टेंसिंग नियमों का पालन कर आप छठ नहीं करने देंगे और गाइडलाइंस सेंटर से मांगने का झूठा ड्रामा अपने लोगों से करवाते हैं, तो बताए ये 24 घंटे शराब परोसने के लिए परमिशन कौन सी गाइडलाइंस को फॉलो करके ली थी, बोलो CM।”
दूसरी तरफ, उत्तरी दिल्ली नगर निगम के मेयर जय प्रकाश आज सार्वजनिक स्थानों पर छठ पूजा पर प्रतिबंध लगाने के मुद्दे पर उपराज्यपाल अनिल बैजल और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखेंगे और उनसे अपने फैसले पर पुनर्विचार करने और पूजा को निश्चित करने की अनुमति देने का अनुरोध करेंगे।
जय प्रकाश ने बुधवार को कहा कि बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के बड़ी संख्या में लोग राजधानी में रहते हैं और छठ उनका सबसे महत्वपूर्ण और लोकप्रिय त्योहार है, इसलिए सार्वजनिक स्थानों पर छठ पूजा पर प्रतिबंध के मामले में, वे इसे मनाएंगे। इससे बेहतर यह है कि हम छठ पूजा के लिए भीड़ नियंत्रण, घाटों पर सोशल डिस्टेंसिंग के बारे में सख्त दिशा-निर्देशों के साथ अनुमति दें। मैं एलजी और सीएम को पत्र लिख रहा हूं और उनसे सार्वजनिक स्थानों पर छठ पूजा पर प्रतिबंध लगाने के मुद्दे पर फिर से विचार करने का अनुरोध करूंगा।
महापौर ने आगे सुझाव दिया कि किसी भी घाट पर 50 लोगों की सीमा निर्धारित की जा सकती है और श्रद्धालुओं व उनकी छठ पूजा समितियों को जारी किए गए कार्ड के आधार पर अनुमति दी जा सकती है। उन्होंने कहा कि भीड़ को नियंत्रित करने के लिए नगर निगम के पार्कों में अस्थायी पूल बनाकर छठ घाटों की संख्या बढ़ाई जा सकती है, जो शहर भर की लगभग हर कॉलोनी में उपलब्ध हैं। केवल जो श्रद्धालु उपवास करते हैं, उन्हें ही इन घाटों पर अनुमति दी जानी चाहिए। ये सावधानियां वास्तव में भीड़ के प्रबंधन में मदद कर सकती हैं। अगर हम शहर में छठ पूजा की अनुमति देते हैं तो हम इस मोर्चे पर सरकार को अपना पूरा समर्थन देने के लिए तैयार हैं।
दिल्ली में 1,200 छठ घाट
दिल्ली में लगभग 1,200 छठ घाट हैं, जहां हर साल भक्त छठ पूजा मनाते थे। केंद्र सरकार के दिशानिर्देशों के बाद, दिल्ली सरकार ने कोरोना वायरस के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए नदी के तटों, मंदिरों, घाटों और अन्य सार्वजनिक स्थानों जैसे छठ पूजा के सामुदायिक समारोहों पर प्रतिबंध लगा दिया है। सरकार ने सभी क्षेत्र के अधिकारियों को आदेशों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने का भी आदेश दिया है। यह कदम कोविड-19 मामलों की संख्या में अचानक हुई वृद्धि के बाद उठाया गया है, जो इस महीने की शुरुआत में एक ही दिन में सर्वाधिक 8000 से अधिक मामलों तक पहुंच गई थी।
बीजेपी और ‘आप’ में छिड़ी जंग
इस कदम से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और दिल्ली की सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) के बीच राजनीतिक बहस छिड़ गई है। भाजपा की दिल्ली इकाई ने मंगलवार को सार्वजनिक स्थानों पर छठ पूजा पर प्रतिबंध लगाने के फैसले का विरोध किया। हालांकि, AAP ने कहा कि दिल्ली सरकार केवल इस मुद्दे पर केंद्र सरकार के दिशानिर्देशों का पालन कर रही है।
AAP के वरिष्ठ नेता दुर्गेश पाठक ने मंगलवार को कहा था कि भाजपा शासित केंद्र सरकार ने ही छठ पूजा के उत्सव को रोकने के लिए दिशानिर्देश जारी किए थे, लेकिन वही भाजपा राजनीति कर रही है और केजरीवाल सरकार को जश्न की अनुमति नहीं देने के लिए झूठे आरोप लगा रही है।
गौरतलब है कि राजधानी दिल्ली में कोरोना के बढ़ते मामलों के मद्देनजर आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार ने इस बार सभी छठ घाटों और सार्वजनिक स्थानों पर छठ पूजा मनाने पर रोक लगा दी है।