नीति आयोग ने जारी की राष्ट्रीय पोषण रणनीति, दिया पोषण पर जोर…

मानवीय विकास, गरीबी में कमी तथा आर्थिक विकास के लिहाज से पोषण को महत्वपूर्ण करार देते हुए नीति आयोग ने राष्ट्रीय विकास एजेंडा में इसे ऊपर रखने का सुझाव दिया है. आयोग ने इस संबंध में राष्ट्रीय पोषण रणनीति पर एक रिपोर्ट जारी की.

नीति आयोग ने जारी की राष्ट्रीय पोषण रणनीति, दिया पोषण पर जोर...

आयोग के बयान के अनुसार, कुपोषण की समस्या का समाधान करने तथा पोषण को राष्ट्रीय विकास एजेंडा के ऊपर लाने के लिए नीति आयोग ने पोषण पर राष्ट्रीय रणनीति तैयार की है. इसे व्यापक परामर्श प्रक्रिया के जरिए तैयार किया गया है. इसमें पोषण संबंधी मकसद को हासिल करने के लिए रूपरेखा तैयार की गई है.

इस रिपोर्ट में देश में अल्प-पोषण की समस्या के समाधान के लिए एक मसौदे पर जोर दिया गया है. इसके तहत पोषक के चार निर्धारक तत्वों, स्वास्थ्य सेवाओं, खाद्य पदार्थ, पेय जल और साफ-सफाई तथा आय एवं आजीविका में सुधार पर बल दिया गया है.

पोषण रणनीति मसौदे में कुपोषण मुक्त भारत पर जोर दिया गया है जो स्वच्छ भारत और स्वस्थ भारत से जुड़ा है. इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि राज्य स्थानीय जरूरतों और चुनौतियों के समाधान के लिए राज्य एवं जिला कार्य योजना तैयार करे.

मिड डे मील का विस्तार या बदला जाएगा नाम?

देश में कुपोषण की समस्या से लड़ने के लिए केन्द्र की मोनमोहन सिंह सरकार के कार्यकाल के दौरान 2007 में मिड डे मील की विस्तृत योजना लॉन्च की गई थी. इस योजना के तहत देशभर में कुपोषण के शिकार बच्चों को सीधे फायदा पहुंचाने हुए उन्हें स्कूल लाने की कवायद की गई. इस योजना से फायदे का दावा नीति आयोग के आंकड़ों के साथ-साथ आर्थिक मामलों के जानकार करते रहे हैं.

 इसके बावजूद वित्त वर्ष 2012-13 से लेकर वित्त वर्ष 2016-17 तक केन्द्रीय बजट में मिड डे मील योजना के लिए अनुदान में कटौती देखने को मिली है.

अब नीति आयोग का मानना है कि यह मानवीय विकास, गरीबी में कमी तथा आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण योजना है. आयोग ने पोषण में निवेश की वकालत करते हुए ग्लोबल न्यूट्रीशनल रिपोर्ट 2015 के हवाले से कहा कि निम्न और मध्यम आय वाले 40 देशों में पोषण में निवेश का लागत-लाभ अनुपात 16:1 है.

उसके अनुसार हाल में प्रकाशित राष्ट्रीय परिवार और स्वास्थ्य सर्वे एनएफएचएस-4 में पोषण के मामले में कुछ सुधार दिखता है. महिलाओं और बच्चों दोनों में अपर्याप्त पोषण की स्थिति बेहतर हुई है. हालांकि, भारत की आर्थिक वृद्धि वाले देशों के समरूप अन्य देशों से तुलना की जाए तो यह गिरावट काफी कम है.

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