कानपुर आइआइटी में पीएचडी छात्र ने लगाई फासी, फोरेंसिंक टीम ने जुटाये सबूत

कानपुर। आइआइटी कैंपस में बुधवार को पीएचडी तृतीय वर्ष के छात्र ने फांसी लगाकर जान दे दी। सुबह से उसका कमरा अंदर से बंद था। देर शाम साथ पढ़ने वाले छात्र उसे ढूंढते हुए पहुंचे तब घटना का पता लगा। कैंपस में सनसनी फैल गई। कल्याणपुर पुलिस और संस्थान के अधिकारी मौके पर पहुंचे। दरवाजा तोड़कर शव निकाला गया। मौके पर कोई सुसाइड नोट नहीं मिला।कानपुर आइआइटी में पीएचडी छात्र ने लगाई फासी, फोरेंसिंक टीम ने जुटाये सबूत

फरीदाबाद के सेक्टर 8 निवासी करन सिंह का बेटा भीम सिंह हॉल-8 के कमरा नंबर ई-107 में अकेले रह रहा था। उसका प्रो. जे. रामकुमार के निर्देशन में इलेक्ट्रो केमिकल स्पार्क मशीनिंग विषय पर शोध चल रहा था। सहपाठियों ने बताया कि भीम बुधवार सुबह से ही अपने कमरे से बाहर नहीं निकला। सेमेस्टर परीक्षा की तैयारी के लिए इन दिनों क्लास चल रही है लेकिन, वह अनुपस्थित रहा। दोपहरमें जब सहपाठियों ने फोन किया तो उसका मोबाइल नेटवर्क में नहीं था। सभी ने सोचा कि शायद उसकी तबियत खराब होगी। अन्य छात्रों ने भी ध्यान नहीं दिया।

दोपहर में भीम मेस में भी खाना खाने नहीं आया। देर शाम सहपाठियों ने जाकर उसके कमरे का दरवाजा खटखटाया तो दरवाजा अंदर से बंद था। छात्रों ने पीछे रास्ते से खिड़की से झाककर देखा तो होश उड़ गए। पंखे के सहारे चादर के फंदे से भीम का शव लटक रहा था। छात्रों ने तुरंत घटना की सूचना हॉस्टल वार्डन को दी। आइआइटी प्रशासन ने पुलिस व छात्र के परिजन को फोन कर जानकारी दी। सीओ कल्याणपुर राजेश पांडेय पहुंचे और दरवाजा तोड़कर शव को निकाला गया। फारेंसिक टीम ने छात्र का लैपटॉप, मोबाइल, डायरियां आदि सामान कब्जे में लेकर पुलिस को सौंप दिया।

फारेंसिक टीम को छात्र के कमरे में कागज के कैरी बैग में फटे हुए कागज के कई टुकड़े मिले। उन टुकड़ों को, मोबाइल, लैपटॉप और डायरियों को कब्जे में लिया गया है। परिवारवालों को सूचना दी गई है। आत्महत्या का कोई कारण अब तक पता नहीं लगा है। – राजेश पांडेय, सीओ कल्याणपुर

भीम सिंह पढ़ाई में काफी अच्छा छात्र था। उसने ऐसा कदम क्यों उठाया, इसकी जानकारी नहीं है। उसके साथियों ने उसके शव को लटका देखकर जानकारी दी। कोई सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ है। पहले भी कई छात्र कर चुके सुसाइड आइआइटी में पहले भी कई छात्र सुसाइड कर चुके हैं। वर्ष 2011 में मेहताब आलम, 2010 में माधवी साले, 2008 में सोया बनर्जी, 2007 में गोपाल ने आत्महत्या की।

Back to top button