यूपीए के कार्यकाल पर बजट का जवाब देते हुए वित्तमंत्री जेटली ने साधा निशाना

एनडीए के शासन में देश के आर्थिक हालत पहले से यानी यूपीए के शासनकाल से काफी अच्छे हैं। महगांई की दर कम है और देश तरक्की की राह पर आगे बढ़ रहा है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार को आम बजट 2018-19 पर राज्यसभा में चर्चा का जवाब देते हुए यह बात कही।

उन्होंने कहा है कि एनडीए के वर्तमान शासन में देश की आर्थिक स्थिति पूर्ववर्ती यूपीए के शासनकाल की तुलना में बेहतर है। मोदी सरकार के शुरुआती तीन वर्षो में विकास दर यूपीए के अंतिम तीन वर्षो की तुलना में अधिक है। जेटली ने कांग्रेस पर जीएसटी, आधार और कॉरपोरेट टैक्स में कटौती जैसे अहम सुधारों पर नजरिया बदलने का आरोप भी लगाया।

जेटली ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का नाम लिए बगैर उन पर परोक्ष निशाना भी साधा। साथ ही पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के आरोपों और सवालों के जवाब भी दिए। जेटली ने कहा कि जब दस साल तक टेरीबल (भयानक) डॉक्टर हो तो एक स्वस्थ मरीज का हाल कैसा होगा, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है।

जेटली ने कहा कि यूपीए के कार्यकाल में महंगाई दहाई के अंक में थी, जबकि मोदी सरकार के कार्यकाल में यह दो से तीन प्रतिशत के आस पास रही है।

उन्होंने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा कि जीडीपी का 5.9 प्रतिशत राजकोषीय घाटा रखने वाली पार्टी आज उन्हें यह भाषण दे रहे है कि उन्होंने राजकोषीय घाटा 3.2 प्रतिशत पर क्यों नियंत्रित नहीं रखा।

जेटली ने चिदंबरम पर परोक्ष टिप्पणी करते हुए कहा कि कुछ लोग अच्छे टिप्पणीकार हैं, लेकिन जरूरी नहीं कि वे अच्छे प्रशासक भी हों। अर्थव्यवस्था के ये आंकड़े इसकी पुष्टि करते हैं।

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मनरेगा का ख्याल अब बेहतर-

वित्त मंत्री ने कहा कि यूपीए ने हर साल विकास पर खर्च में कटौती की। एनडीए बजट में आवंटित राशि से ज्यादा धनराशि खर्च कर रहा है। यूपीए सरकार ने मनरेगा और खाद्य सुरक्षा कानून दो कार्यक्रम शुरू किए थे। एनडीए सरकार ने मनरेगा के लिए 55 हजार करोड़ दिए।

यूपीए ने अधिकतम 40 हजार करोड़ दिए थे, लेकिन पूरी राशि खर्च नहीं कर पाए। इस साल 55 हजार करोड़ मंजूर किया। खाद्य सब्सिडी के लिए 1.70 लाख करोड़ आवंटित किए है।

कर चोरी नहीं चलेगी-

जेटली ने कहा कि काले धन के खिलाफ नोटबंदी के अभियान और जीएसटी के असर से टैक्स का दायरा धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है। चालू वित्त वर्ष में 31 जनवरी तक आयकर में 19.7 प्रतिशत से अधिक हुई है। जीएसटी के असेसी की संख्या एक करोड़ से अधिक हो गई है। सरकार इस वर्ष एक के बाद एक कर चोरी रोकने के उपाय करेगी, जिससे जीएसटी संग्रह बढ़ेगा।

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