पगड़ी पहनकर सजे बाबा महाकाल…मस्तक पर लगाया त्रिपुंड और ॐ

विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में वैसाख कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर सोमवार तड़के भस्म आरती की गई। सुबह चार बजे मंदिर के पट खोले गए। पण्डे पुजारी ने गर्भगृह में स्थापित सभी भगवान की प्रतिमाओं का पूजन कर भगवान महाकाल का जलाभिषेक दूध, दही, घी, शक्कर पंचामृत और फलों के रस से किया। इसके बाद प्रथम घंटाल बजाकर हरि ओम का जल अर्पित किया गया। कपूर आरती के बाद बाबा महाकाल को नवीन मुकुट रुद्राक्ष व मुंड माला धारण करवाई गई।

आज के शृंगार की विशेष बात यह रही कि सोमवार त्रयोदशी तिथि की भस्मआरती में बाबा महाकाल को त्रिपुंड और ॐ से शृंगारित कर पगड़ी पहनाकर सजाया गया। शृंगार के बाद बाबा महाकाल के ज्योतिर्लिंग को कपड़े से ढांककर भस्मी रमाई गई और भोग भी लगाया गया। महानिर्वाणी अखाड़े की ओर से भगवान महाकाल को भस्म अर्पित की गई। इस दौरान हजारों श्रद्धालुओं ने बाबा महाकाल के दिव्य दर्शनों का लाभ लिया। जिससे पूरा मंदिर परिसर जय श्री महाकाल की गूंज से गुंजायमान हो गया।

22 ब्राह्मण लघुरुद्र का पाठ कर कर रहे महारुद्राभिषेक अनुष्ठान
श्री महाकालेश्वर मंदिर के शासकीय पुजारी और अनुष्ठान के आचार्य पं. घनश्याम शर्मा ने बताया कि श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति द्वारा 6 दिवसात्मक महा-रुद्राभिषेक का अनुष्ठान किया गया है। श्री महाकालेश्वर मंदिर के गर्भगृह में पूजन के बाद नंदी मंडपम में श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष एवं कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने सपत्नीक महारुद्राभिषेक का संकल्प कर पूजन की गई। उसके पश्चात 22 ब्राम्हणों को वारुणी प्रदान कर महारुद्राभिषेक का प्रारम्भ किया गया। यह पूजन शासकीय पुजारी पं. घनश्याम शर्मा द्वारा ही संपन्न करवाया गया। इस दौरान प्रशासक मृणाल मीना, राजेंद्र शर्मा गुरु , सहायक प्रशासक प्रतीक दिवेदी, मूलचंद जूनवाल, श्री महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी व पुरोहित आदि उपस्तिथ थे।

प्रतिदिन 11 से 2 बजे तक होगा लघु रुद्र का पाठ
बताया जाता है कि अब प्रतिदिन 22 ब्राह्मणों द्वारा लघुरुद्र का पाठ किया जाएगा, जो प्रात: 11 बजे से दोपहर 2 बजे तक श्री महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी एवं पुरोहितों के माध्यम से संपन्न किया जाएगा।

सोमयाग कर रहे आचार्यों का सम्मान
श्री महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी पंडित प्रदीप गुरु ने बताया कि श्री महाकालेश्वर मंदिर के परिसर मे हवनात्मक सोमयाग के साथ ही 10 मई 2024 तक नंदी हाल में अभिषेकात्मक महा-रुद्राभिषेक का आयोजन किया जा रहा है | महारुद्राभिषेक के दौरान श्री महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी- पुरोहितों द्वारा सोमयाग हेतु महाराष्ट्र के जिला सोलापुर के कासारवाडी तालुका बर्शी के मुर्धन्य विद्वान व यज्ञाचार्य पं. चैतन्य नारायण काले व उनके सहयोगी चारों वेदो के श्रौत विद्वानों ऋत्विको (ब्राहम्ण) के द्वारा किया जा रहा है। जिनका आज महारुद्र अभिषेक के दौरान स्वागत सम्मान किया गया।

5000 वर्ष प्राचीन पद्धति से हो रहा सोमयाग
बताया जाता है कि 5000 वर्ष प्राचीन पद्धति से इस सोमयाग में महत्वपूर्ण सामग्री के रूप में उपयोग होने वाली वनस्पति सोमवल्ली जिसका सोमयाग में रस निकाल कर हवि रूप में प्रयोग किया जा रहा है। सोमवल्ली का चन्द्र कला के प्रभाव में घटना बढना निर्धारित होता है। धरा पर यह सोमवल्ली देवलोक दिव्यलोक से आने की बात वेदों ने कही है। इसी वनस्पति सोमवल्ली के नाम पर इस याग का नाम सोमयाग है। शास्त्रों वर्णन अनुसार वसंत ऋतु में सोमयाग का आयोजन किया गया है इसमें प्रयुक्त होने वाली वनस्पति सोमवल्ली पहाड़ों पर पाई जाती है। वैदिक मंत्रोच्चार के साथ वनस्पति को वनों-पर्वतों से एकत्र कर सोमयाग के विहार स्थल पर बैलगाडी के नीचे इसको कूटकर रस निकाला गया है अब इसी रस का उपयोग सोमयाग में हवि के रूप मे किया जा रहा है।

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