नवरात्रि के पहले दिन इस पूजा विधि से करें मां दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप की पूजन

शारदीय नवरात्रि का आज पहला दिन है। कहा जाता है नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप की पूजा की जाती है। जी दरअसल ऐसा माना जाता है कि आज माँ शैलपुत्री का पूजन करने से मां दुर्गा की कृपा से घर में सुख-समृद्धि आती है और कष्टों से मुक्ति मिलती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, पर्वतराज हिमालय के यहां पुत्री रूप में उत्पन्न होने के कारण इनका नाम शैलपुत्री पड़ा। जी दरअसल ऐसा माना जाता है कि पूर्व जन्म में ये प्रजापति दक्ष की कन्या थीं, तब इनका नाम सती था। उस समय माता का विवाह भगवान शंकरजी से हुआ था। वहीं प्रजापति दक्ष के यज्ञ में सती ने अपने शरीर को भस्म कर अगले जन्म में शैलराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लिया। पार्वती और हैमवती भी उन्हीं के नाम हैं। बात करें उपनिषद् की एक कथा की तो उसके अनुसार, इन्हीं ने हैमवती स्वरूप से देवताओं का गर्व-भंजन किया था।

हिंदी पंचांग के अनुसार, शारदीय नवरात्रि में घट स्थापना के लिए सुबह 6 बजकर 17 मिनट से 7 बजकर 7 मिनट तक शुभ मुहूर्त है।

पूजा विधि: नवरात्रि के पहले दिन प्रात:काल उठकर स्नानादि से निवृत होकर स्वच्छ कपड़े पहनें। अब एक चौकी पर देवी दुर्गा की प्रतिमा और कलश स्थापित करें। इसके बाद मां शैलपुत्री का ध्यान कर व्रत का संकल्प करें। आपको बता दें कि मां शैलपुत्री को सफेद रंग की वस्‍तुएं काफी प्रिय हैं, इस वजह से चंदन-रोली से टीका कर मां की प्रतिमा पर सफेद वस्‍त्र और सफेद फूल चढ़ाने चाहिए। इसी के साथ ही सफेद रंग की मिठाई का भोग भी मां को बेहद ही पसंद आता है। वहीं बाद में शैलपुत्री माता की कथा करें और दुर्गा सप्शती का पाठ करें। अब इसके बाद दुर्गा चालीसा का पाठ करें। बाद में मां की आरती करें।

 

मां शैलपुत्री के मंत्र:
-ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥
-वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥

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