शारदीय नवरात्रि की पंचमी तिथि को स्कंदमाता की पूजा के साथ ललिता पंचमी का व्रत रखने का है विधान, जाने पूजा की विधि और मुहूर्त

शारदीय नवरात्रि की पंचमी तिथि को स्कंदमाता की पूजा के साथ ललिता पंचमी का व्रत रखने का विधान है। ललिता देवी मां दुर्गा की 10 महाविद्याओं में से एक हैं, जिन्हें त्रिपुरा सुंदरी भी कहते हैं। इनका एक नाम षोडशी भी है, यह सोलह कलाओं से युक्त मानी जाती हैं। पौराणिक कथा के अनुसार एक बाद जब भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र के प्रयोग किया तो सारी धरा पर जल-जीवन समाप्त होने लगा। तब ऋषि-मुनियों ने मां ललिता देवी का आवाह्न किया, उनके प्रताप से ही धरती फिर से हरी –भरी हो गई। उत्तर प्रदेश के नैमिषारण्य में मां ललिता देवी का प्रचीन मंदिर स्थित है। आइए जानते हैं ललिता पंचमी की व्रत की विधि और पूजन मुहूर्त….

ललिता पंचमी का पूजा मुहूर्त

ललिता पंचमी का व्रत अश्विन माह की पंचमी तिथि को रखा जाता है। पंचांग के अनुसार पंचमी की तिथि 10 अक्टूबर को सुबह 4 बजकर 55 मिनट से शुरू हो कर, 11 अक्टूबर को दोपहर 2 बजकर 14 मिनट तक रहेगी। इसलिए ललिता पंचमी का व्रत 10 अक्टूबर को रखा जाएगा। आज ललिता पंचमी पर मां ललिता देवी का पूजन करने के लिए शुभ मुहूर्त अभिजीत मुहूर्त दोपहर 11:50 से लेकर 12:37 या फिर कल सुबह अमृत काल 04:47 बजे से 06:16 बजे तक रहेगा।

ललिता देवी की पूजन विधि

मां ललिता देवी, आदिशक्ति मां दुर्गा की दसविद्या में से एक हैं। इसलिए शारदीय नवरात्रि में इनके पूजन का विशेष महत्व है। इस दिन सबसे पहले सुबह स्नान आदि से निवृत्त हो कर व्रत का संकल्प लेना चाहिए। पूजन करने के लिए उत्तर या उत्तर पूर्व दिशा में मां की प्रतिमा स्थापित करके, गंगा जल से आचमन करें। ललिता देवी को धूप,दीप,रोली, अक्षत अर्पित कर पूजन करना चाहिए। ललिता देवी को लाल रंग के फूल और लाल चुनरी चढ़ाएं। दिन भर फलाहार का व्रत रख कर, अगले दिन स्नान करके व्रत का पारण करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button