विजया एकादशी के दिन ऐसे करें भगवान विष्णु की पूजा, पूरी हो जाएगी मनोकामना

हिंदू धर्म में एकादशी का बहुत बड़ा महत्व माना जाता है। हिन्‍दू धर्म में फाल्गुन मास के कृष्‍ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी कहा जाता है। यह एकादशी महाशिवरात्रि से दो दिन पहले पड़ती है। इस साल विजया एकादशी 09 मार्च को है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, एकादशी का व्रत रखने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है और कष्टों से मुक्ति मिलती है। 

यूं तो महीने में दो बार एकादशी आती हैं। एक शुक्ल पक्ष के बाद और दूसरी कृष्ण पक्ष के बाद। पूर्णिमा के बाद आने वाली एकादशी को कृष्ण पक्ष की एकादशी और अमावस्या के बाद आने वाली एकादशी को शुक्ल पक्ष की एकादशी कहते हैं। प्रत्येक पक्ष की एकादशी का अपना अलग महत्व है। पद्म पुराण के अनुसार स्वयं महादेव ने नारद जी को उपदेश देते हुए कहा था, एकादशी महान पुण्य देने वाली होती है। कहा जाता है कि जो मनुष्य एकादशी का व्रत रखता है उसके पितृ और पूर्वज कुयोनि को त्याग स्वर्ग लोक चले जाते हैं।

विजया एकादशी व्रत शुभ मुहूर्त-

एकादशी तिथि आरंभ- 08 मार्च 2021 दिन सोमवार दोपहर 03 बजकर 44 मिनट से
एकादशी तिथि समाप्त- 09 मार्च 2021 दिन मंगलवार दोपहर 03 बजकर 02 मिनट पर 
विजया एकादशी पारणा मुहूर्त- 10 मार्च को 06:37:14 से 08:59:03 तक।
अवधि- 2 घंटे 21 मिनट

विजया एकादशी पर ऐसे करें पूजा-

– एकादशी के दिन सबसे पहले सुबह उठकर स्‍नान करने के बाद साफ वस्‍त्र धारण करके एकादशी व्रत का संकल्‍प लें। 
– उसके बाद घर के मंदिर में पूजा करने से पहले एक वेदी बनाकर उस पर 7 धान (उड़द, मूंग, गेहूं, चना, जौ, चावल और बाजरा) रखें। 
– वेदी के ऊपर एक कलश की स्‍थापना करें और उसमें आम या अशोक के 5 पत्ते लगाएं। 
– अब वेदी पर भगवान विष्‍णु की मूर्ति या तस्‍वीर रखें। 
– इसके बाद भगवान विष्‍णु को पीले फूल, ऋतुफल और तुलसी दल समर्पित करें। 
– फिर धूप-दीप से विष्‍णु की आरती उतारें। 
– शाम के समय भगवान विष्‍णु की आरती उतारने के बाद फलाहार ग्रहण करें। 
– रात्रि के समय सोए नहीं बल्‍कि भजन-कीर्तन करते हुए जागरण करें।
– अगले दिन सुबह किसी ब्राह्मण को भोजन कराएं और यथा-शक्ति दान-दक्षिणा देकर विदा करें। 
– इसके बाद खुद भी भोजन कर व्रत का पारण करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button