अकबर के नौ रत्नों में से एक बीरबल की एेसे हुई थी मौत

सभी जानते है कि बीरबल अकबर के नौ रत्नों में एक थे। बीरबल अपनी बुद्धि कौशल के लिए प्रसिद्ध थे। उनकी बुद्धि के बादशाह अकबर भी कायल थे। उनके तेज दिमाग के चलते वह किसी भी बड़ी समस्या को कुछ ही क्षणों में सुलझा देते थे। जिससे बादशाह अकबर बहुत खुश रहते थे। लेकिन आपको आज हम एक ऐसी ऐतिहासिक जानकारी बताने वाले हैं जिसमें इस बुद्धि के मालिक और नवरत्नों में से एक बीरबल की दर्दनाक मृत्यु हो जाती है।

बीरबल का स्थान बादशाह अकबर के मंत्रिमंडल में बहुत ऊंचे दर्जे का था। इस बुद्धिमान व्यक्ति की का जन्म साल 1528 में उत्तर प्रदेश के कालपी नामक जगह पर हुआ था। उनके तेज़ दिमाग के चलते उन्हें बादशाह अकबर अपने दरबार में नवरत्नों में शामिल कर लिया था। लेकिन बात 1586 की है जब अफगानिस्तान के कुछ कबीलों ने मुगलों के खिलाफ आक्रमण कर दिया था। इसके चलते बादशाह अकबर ने यह निर्णय लिया की खान कोका और बीरबल दोनों मिलकर वहां पर चढ़ाई करें और इस विद्रोह को दबा दें। 

लेकिन दुर्भाग्यवश कोका को एक हिंदू राजा के साथ मिलकर लड़ाई करना बिल्कुल गवारा नहीं था और उन्होंने लड़ने से मना कर दिया और रास्ते में ही अपनी सेना को छोड़ कर चले गए। लेकिन बीरबल ने अपने सैनिकों के साथ चढ़ाई करना जारी रखा। अब कोका के साथ छोड़ने के बाद उनकी सेना बहुत कम पड़ गई थी और वह भी अकेले पड़ गए थे। 

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वैसे तो बीरबल का दिमाग बहुत तेज था लेकिन सैन्य आक्रमणों को कैसे डील करना है उनको पता नहीं था या कह सकते हैं कि इनका उन्हें बिल्कुल अनुभव नहीं था। बीरबल अपने 8000 सैनिकों के साथ वहां पर फंस चुके थे और उनके दुश्मनों ने उनको चारों तरफ से घेर लिया था। तभी उनके दुश्मनों ने उन पर पहाड़ी के ऊपर से पत्थरों और गोलों को बरसाना शुरू कर दिया। 

उनके पास वहां से निकलने का कोई रास्ता नही था। उनके सेनिक और बीरबल इन पत्थरों के नीचे बुरी तरह से दब चुके थे और उनका निकलना बिल्कुल नामुमकिन था। इस तरह इन पत्थरों के नीचे दबकर उनकी दर्दनाक मृत्यु हो गई थी।

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