क्या आप जानते हैं, ये राजा रखवाते थे कुत्ते के मरने पर राष्ट्रीय शोक, जानें पूरी बात

आजादी से पहले भारत में अनेक राजा-महाराजा थे। जहां कई राजा-महाराजा केवल अपने भोग-विलास में ही रत रहते थे तो कई ऐसे थे जिन्होंने जनता की खूब सेवा की। हालांकि, राजाओं के काम करने के अंदाज तथा शौक भी कम अजब-गजब नहीं थे।
ऐसे ही महाराजाओं में अलवर के राजा जय सिंह का नाम भी शामिल है। एक बार वह लंदन यात्रा के दौरान सामान्य वेशभूषा में रॉल्स रॉयस कारों के शोरूम में गए। वहां इनके साथ साधारण भारतीय की तरह बर्ताव हुआ। इस बात का इन्हें काफी बुरा लगा। इसके बाद जब वह दोबारा गए तो पूरे राजसी ठाठ से गए और वहां से 10 कारें खरीद लाए। इसके बाद भारत में इन विदेशी कारों की छत हटवाकर उन्हें कूड़ा उठाने के काम में लगा दिया गया। इस बात की जानकारी होने पर रॉल्स रॉयस के अधिकारियों को राजा जय सिंह से माफी मांगनी पड़ी और उन्हें मनाना पड़ा।
इसी प्रकार बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह का अपनी जनता के प्रति प्रेम दर्शाने का तरीका काफी अलग था। इनके बारे में कहा जाता है कि वह गरीबों में खूब सोना बांटते थे। एक बार तो उन्होंने अपने वजन के बराबर सोना गरीबों में बांट दिया था। सोना इतना ज्यादा था कि उस सोने को गरीबों के पालतू जानवर भी नहीं लाद पा रहे थे।
जूनागढ़ के महाराज महाबत खान रसूल खान जनता की तरह ही अपने पालतू कुत्तों को भी प्यार करते थे। शायद तभी उनके पास कुल 800 कुत्ते थे और हर कुत्ते की सेवा में एक-एक सेवक हुआ करता था। किसी एक कुत्ते के मरने पर एक दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया जाता था। इतना ही नहीं, एक बार दो कुत्तों की शादी कराई गई। उस वक्त ही इस शादी का खर्च लाखों रुपए आया था। इसके अलावा पूरे प्रदेश में छुट्टी घोषित करा दी गई थी ताकि हर कोई कुत्तों को इत्मीनान से आशीर्वाद दे सके।
कपूरथला के महाराजा जगजीत सिंह के शौक भी काफी अलग थे। वह लग्जरी ब्रांड लुई विटन के सबसे बड़े ग्राहक थे। इसका प्रमाण है कि उनके पास लुई विटन के करीब 60 बड़े शानदार बक्से थे। यात्रा के बेहद शौकीन महाराज जगजीत सिंह हर जगह अपने साथ इन बक्सों को ले जाते थे।