नंदीग्राम: शुभेंद और ममता के बीच चुनावी जंग, उठा किसान कानून का मुद्दा…

पश्चिम बंगाल के सियासी घमासान में अब किसान आंदोलन की भी एंट्री हो गई है. नंदीग्राम में जहां TMC सुप्रीमो और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और बीजेपी नेता शुभेंदु अधिकारी के बीच सीधी सियासी लड़ाई है वहां शनिवार को किसानों ने महापंचायत की. किसान नेताओं ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा.

क्रांति की जमीन नंदीग्राम में किसान नेता नई क्रांति का बीज बो रहे थे. संदेश सीधा था, वोट चाहे जिसको भी  दो लेकिन हारने वाली पार्टी बीजेपी ही हो.

प्रचार ज्यादा, काम कम के आरोप

शुभेंद और ममता की चुनावी जंग ने फिर नंदीग्राम को सुर्खियों में ला दिया है. बंगाल की लड़ाई के सबसे बड़े मोर्चे पर किसान उतर आए हैं. नंदीग्राम में किसानों ने कृषि कानूनों का मुद्दा उठाया. सरकार पर उद्योगपतियों के हित में दबाव बनाने के आरोप लगाए. महंगाई, पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर सरकार को घेरा, न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर सरकार को घेरा.

किसान नेताओं ने बेरोजगारी का मुद्दा उठाया, आरोप लगाए कि सरकार प्रचार ज्यादा करती है काम कम. भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत समेत तमाम किसान नेता नंदीग्राम पहुंचे थे. किसानों की महापंचायत का सीधा मकसद बंगाल में बीजेपी का चुनावी खेल खराब करना है. 

राकेश टिकैत मंच पर पहुंचे तो टीएमसी का नारा खेला होबे को दोहरा दिया. टिकैत ने कहा कि बीजेपी जीती तो ना जाने किसके-किसके साथ खेल करेगी. बंगाल में ना जाने क्या होगा. राकेश टिकैत ने ममता बनर्जी का नाम तो नहीं लिया लेकिन शुभेंदु अधिकारी और बीजेपी को आड़े हाथों लिया.

‘महिला को चोट पहुंचाया’

राकेश टिकैत ने कहा, खेल होगा कि बड़ी बड़ी कंपनी आएंगी, वो समुद्र से मछली पकड़ने आएंगी. तलाब यहां बंद हो जाएंगे. कंपनियां ऐसे ही यहां काम करेंगी. किसी पार्टी की सरकार नहीं बड़ी बड़ी कंपनी सरकार को चलाने का काम कर रही हैं. एयरपोर्ट, रेलवे, बिक गया. अब किसानों की बारी है. ये आंदोलन डिस्ट्रिक्ट वाइस खड़े करने पड़ेंगे. लड़ाई आपको लड़नी होगी.

रैली में राकेश टिकैत ने शुभेंदु अधिकारी और ममता का नाम लिए बगैर कहा कि आप बीजेपी को हराने का काम करो. जो उम्मीदवार बीजेपी को हरा सके उसे वोट दो. भगोड़े को यहां वोट मत देना जिसने एक्सीडेंट करवा दिया और महिला को चोट पहुंचा दी. बता दें कि इस सीट से पहले शुभेंदु अधिकारी ही चुनाव जीते थे, अंतर बस इतना था कि तब वो ममता बनर्जी की पार्टी में ही थे. अब वो टीएमसी छोड़कर बीजेपी में आ गए हैं तो दोनों के बीच मुकाबला हो रहा है.

चुन-चुनकर निशाना साधा

राकेश टिकैत ने चुन-चुनकर बीजेपी पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि बीजेपी बरगलाती है, फंसाती है, और फिर बुरे हाल में छोड़ देती  है. नंदीग्राम से पहले राकेश टिकैत कोलकाता में भी कृषि कानूनों की दलील देकर किसानों से बीजेपी के खिलाफ एकजुट होने की अपील की.

हालांकि, बीजेपी का दावा है कि राकेश टिकैत की किसान महापंचायत का बंगाल में कोई असर नहीं होगा. किसानों को लेकर बीजेपी ने बंगाल में ममता बनर्जी पर गंभीर आरोप लगाए हैं. आरोप ये कि ममता केंद्र सरकार की योजनाओं को प्रदेश में लागू नहीं होने देती. किसानों को फायदा नहीं पहुंचता.

बहरहाल, पश्चिम बंगाल की राजनीति में संयुक्त किसान मोर्चा की महापंचायत वाली रणनीति कितनी कारगर होगी. अभी इस बारे में कुछ भी कहना मुश्किल है क्योंकि 107 दिनों से दिल्ली के बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन में बंगाल के किसानों की भागीदारी न के बराबर रही है.

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