Nabapatrika Puja 2020: आज नवरात्रि का सातवां दिन है, जानें इस दिन क्यों होती है नाबापत्रिका की पूजा
नई दिल्ली। आज नवरात्रि का सातवां दिन यानी महासप्तमी है। महासप्तमी की शुरूआत नाबापत्रिका पूजा से शुरू होती है। नाबापत्रिका को नवपत्रिका भी कहा जाता है। नाबापत्रिका पूजा में नौ पौधों की पत्तियों को मिलाकर बनाए गए गुच्छे की पूजा की जाती है।
इन नौ पत्तियों को मां दुर्गा के नौ स्वरूपों का प्रतीक माना जाता है। नाबापत्रिका पूजा बंगाल, ओडिशा, बिहार, झारखंड, असम, त्रिपुरा और मणिपुर में धूमधाम से मनाई जाती है।
नाबापत्रिका पूजा का महत्व
नाबापत्रिका (Nabapatrika) यानी इन नौ पत्तियों को सूर्योदय से पहले किसी पवित्र नदी के पानी से स्नान कराया जाता है, जिसे महास्नान कहते हैं। इसके बाद नाबापत्रिका को पूजा पंडाल में रखा जाता है। इस पूजा को ‘कोलाबोऊ पूजा’ भी कहते हैं। आज के दिन किसान भी नाबापत्रिका की पूजा करते हैं।
ऐसा माना जाता है कि नाबापत्रिका की पूजा से अच्छी फसल उगती है। नाबापत्रिका को भगवान गणेश की पत्नी भी माना जाता है। इसलिए पूजा के समय इसे भगवान गणेश की मूर्ति के दाहिनी ओर रखा जाता है।
कैसे बनाई जाती है नाबापत्रिका?
नौ अलग-अलग पेड़ों के पत्तियां मिलाकर नाबापत्रिका तैयार की जाती है। इसमें हल्दी, जौ, बेल पत्र, अनार, अशोक, अरूम, केला, कच्वी और धान के पत्तों का इस्तेमाल होता है। नाबापत्रिका में इस्तेमाल नौ पत्तियां मां दुर्गा के नौ स्वरूपों का प्रतीक मानी जाती हैं। केले के पत्ते को ब्राह्मणी का प्रतीक माना जाता है जबकि अरवी के पत्ते मां काली के प्रतीक माने जाते हैं।
इसी तरह हल्दी के पत्ते मां दुर्गा, जौ की बाली देवी कार्तिकी, अनार के पत्ते देवी रक्तदंतिका, अशोक के पत्ते देवी सोकराहिता का प्रतीक, अरुम का पौधा मां चामुंडा और धान की बाली मां लक्ष्मी की प्रतीक मानी जाती है। वहीं नाबापत्रिका में इस्तेमाल बेल पत्र को भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है।