आप भी जान लें सांपों के जहर और विषदंत से जुड़े यह रहस्य, जो हैं पुराण में वर्णित
भविष्य पुराण में बताया गया है कि भाद्रकृष्ण शुक्ल पक्ष के दिन नागपंचमी का त्योहार मानने के पीछे एक बड़ा कारण है नाग दंश से बचाव। कहते हैं कि इस दिन नागों की पूजा करने से नाग डसता नहीं है। इस पुराण में बताया गया है कि नाग कब जहरीला होता है और कैसे किसी को काटता है। इतना ही नहीं किस तरह के सांप के काटने का कैसा प्रभाव होता है यह भी इस पुराण में बताया गया है।
1. सांप के दांत जन्म से 7 दिनों के बाद निकल आते हैं और 21 दिनों बाद सांप जहरीला हो जाता है यानी किसी को अपने विष से मृत्यु के मुंह में पहुंचा सकता है।
2. जैसे ही सांप किसी को डसता है तुरंत अपने जबड़े से तिक्ष्ण विष छोड़ता है और फिर विष इकट्ठा हो जाता है।
3. जिन सांपों के दांत लाल, पीले या सफेद होते हैं वह कम विषैले होते हैं। ऐसे सांप की आयु भी कम होती है।
4. सांपों के 32 दांत और चार विष दंत होते हैं। इन विष दंतों के नाम हैं मकरी, कराली, कालरात्रि और यमदूती। इन चारों दांतों के काटने का अलग-अलग प्रभाव होता है।
5. यमदूती नाम की दांत सबसे छोटी होती है। इस दांत से सांप जिसे काटता है वह तुरंत मृत्यु को प्राप्त हो जाता है।
6. सांप का विष दाहिने आंख के समीप होता है। क्रोध करने पर विष पहले मस्तिष्क में पहुंचता है फिर धमनी में और इसके बाद नाड़ियों से होता हुआ विष दंत में पहुंचता है। सांप के हर दांत पर एक खास चिन्ह पाया जाता है जो हर दांत पर क्रमशः चार महीने में उभरता है।
7. भविष्य पुराण में बताया गया है कि सांप आठ कारणों से किसी को डसता है। दबने से, भय से, मद से, पहले के वैर से, भूख से, विष का वेग होने से, संतान की रक्षा के लिए और काल की प्रेरणा से।
8. जब सांप काटने पर चार दांत के निशान नजर आए तो समझना चाहिए कि सांप ने काल की प्रेरणा से काटा है। इसमें मृत्यु की संभावना सबसे अधिक रहती है।