अब्दुल कुरैशी की तरह यह ‘आतंकी’ भी है बम बनाने का एक्सपर्ट, जानें पूरी जानकारी

नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच के हत्थे चढ़ा 370 मासूमों का कातिल अब्दुल सुभान कुरैशी पहला खूंखार आतंकी नहीं हैं। इससे पहले भी ऐसे आतंकियों की गिरफ्तारी हो चुकी है, जिन पर भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की काफी पहले से नजर रही है। यह अलग बात है कि कुछ ही आतंकी सुरक्षा एजेंसियों की हत्थे चढ़े हैं। कुछ फरार हैं तो कुछ पाकिस्तानी एजेंसी आइएसआइ की सरपरस्ती में फल-फूल रहे हैं।अब्दुल कुरैशी की तरह यह 'आतंकी' भी है बम बनाने का एक्सपर्ट, जानें पूरी जानकारी

दोनों का नाम अब्दुल और भी है एक समानता

सोमवार को गिरफ्तार देश का मोस्टवांटेड आतंकी अब्दुल सुभान कुरैशी को बम बनाने में माहिर माना जाता है। इसी तरह पिछले साल कोर्ट से सजा पाए अब्दुल करीब टुंडा को भी बम बनाने में माहिर माना जाता था। यहां तक कि उसका एक हाथ भी बम बनाने के दौरान उड़ गया, जिसके बाद उसका नाम टुंडा पड़ गया। एक और दोनों का नाम पहला नाम समान है, यानी सोमवार को गिरफ्तार आतंकी को नाम अब्दुल कुरैशी सुभान कुरैशी है तो दूसरे का नाम अब्दुल करीब टुंडा है। 

यहां पर बता दें कि दिल्ली पुलिस और एनआइ की टीम ने एक मुठभेड़ के बाद इस आंतकी को दिल्ली के गाजीपुर इलाके से गिरफ्तार किया है। अब्दुल कुरैशी को भारत का ओसामा बिन लादेन कहा जाता था, यह अपना वेश बदलने में मास्टर था. इसी के चलते इसने कई बार पुलिस को गच्चा दिया।

इसी तरह बन बनाने में माहिर अब्दुल करीम उर्फ टुंडा भी चलती फिरती बम बनाने की मशीन था। उसकी तकनीक का लोहा लश्कर ए तैयबा ही नहीं, सुरक्षा एजेंसियां भी मानती हैं। स्थानीय बाजार में उपलब्ध जिलेटिन छड़, अमोनियम नाइट्रेट, यूरिया, पोटेशियम क्लोराइड, साइकिल के छर्रे और चीनी की मदद से बनाए गए टुंडा के बम के फेल होने की संभावना बहुत कम होती थी।

कैप्सूल बम बनाने में भी उसे महारत हासिल थी। कुछ साल पहले टुंडा द्वारा प्रशिक्षित किए गए एक लश्कर आतंकी के कब्जे से पुलिस ने 2000 खाली कैप्सूल, डेटोनेटर व सल्फ्यूरिक एसिड पकड़ा था।

अधिकारियों के अनुसार सीमा से आरडीएक्स की तस्करी बंद हो जाने के बाद वर्ष 2000 के बाद टुंडा की मांग आतंकी संगठनों में बढ़ गई थी। वह देसी तकनीक से बम बनाना सिखाता था। दिल्ली में 2008 में हुआ महरौली ब्लास्ट, 2010 का जामा मस्जिद ब्लास्ट और दिल्ली हाई कोर्ट बम धमाके बिल्कुल वैसे ही थे, जैसे टुंडा 1990 के दशक में करता था।

लश्कर का मददगार

पाकिस्तान में वर्ष 1990 में अस्तित्व में आया आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा भारत में टुंडा की अंगुली पकड़कर ही दाखिल हुआ था। 1992 में अयोध्या में विवादित ढांचा ढहाए जाने के बाद भारतीय मुस्लिम संगठनों के बीच लश्कर की घुसपैठ टुंडा और मुंबई के डॉक्टर जलीस अंसारी ने ‘तंजीम इस्लाह उल मुस्लिमीन’ नामक संगठन बनाकर की थी। इसके बाद पूरे देश में लश्कर ए तैयबा का नेटवर्क फैल गया।

हरियाणा को भी दहलाया

अब्दुल करीम टुंडा हरियाणा को भी तीन बार दहला चुका था। सोनीपत और पानीपत में हुए धमाकों में पुलिस को उसकी तलाश थी। अब उसे प्रोडक्शन वारंट पर लाने के लिए तैयारी शुरू कर दी गई है। टुंडा ने 28 दिसंबर, 1996 को शाम के समय सोनीपत में दो बम धमाके किए थे। इसमें करीब डेढ़ दर्जन लोग घायल हुए थे। एक महीने बाद ही 1 फरवरी, 1997 में पानीपत बस अड्डे पर बम धमाका हुआ, जिसमें एक बच्चे की मौत हो गई जबकि 12 लोग घायल हो गए। 

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