जानें बुढ़ापे में क्या करती हैं वैश्याएं, जवानी ढ़लने के बाद फिर बची हुई जुन्दगी में…

अक्सर वेश्याओं के रेड लाइट इलाके में हर रोज़ जिस्मफरोशी की मंडी सजती है। इस मंडी में अपने जिस्म की प्यास को बुझाने की आस लिए न जाने कितने ही खरीददार हर शाम आते हैं। जिस्म की इस मंडी में हर रोज़ वेश्याओं की बोली लगती है जो जितनी कमसीन और जवान होती है, उसे उसकी जवानी की उतनी ही मंहगी कीमत भी मिलती है। यहां जवान और हसीन वेश्याएं हर रोज़ अपने जिस्म का सौदा करती हैं और उससे होनेवाली कमाई से वो अपना और अपने परिवार का पेट भरती हैं।
जिस्म के सौदे में ढल गई जवानी:

जिस्मफरोशी के इस दलदल में फंसी वेश्याएं अपनी जवानी तो जिस्म का सौदा करके गुज़ार लेती हैं। लेकिन इन वेश्याओं के जीवन में एक दिन ऐसा भी आता है जब उनकी जवानी ढलने लगती है और वो बूढ़ापे की तरफ कदम बढ़ाने लगती हैं। लेकिन क्या आपने यह सोचा है कि जब बूढ़ापे में इनके जिस्म का कोई खरीददार नही मिलता, तब ये कहां जाती हैं ?

दर्दनाक होता है वेश्याओं का बूढ़ापा:

जवानी में जिन वेश्याओं के जिस्म की महंगी बोली लगती है, उनके जिस्म के लिए बूढ़ापे में कोई खरीददार नहीं मिलता है।

जवानी में जिस परिवार का पेट भरने के लिए एक वेश्या अपनी आबरू नीलाम कर देती है। बूढ़ापे में दो रोटी के लिए भी वो अपने परिवार की मोहताज हो जाती है।

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दूसरा कोई काम नहीं आता जिसके चलते बूढ़ापे में वेश्याएं दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हो जाती है। कई वेश्याओं के पास भीख मांगने के अलावा और कोई चारा ही नहीं बचता है।

बूढ़ापे में कुछ वेश्याएं कमसीन लड़कियों का सौदा करके अपना पेट पालती हैं लेकिन कई ऐसी होती हैं जिनका बूढ़ापा अंधकार में डूब जाता है।

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