जानें शिवलिंग के जलाभिषेक का राज चंद्रमा-राहु की युक्ति समेत किन योगों के बुरे परिणामों से बचाता है

ज्योतिष में भगवान शिव की पूजा-अर्चना को चंद्रमा से जुड़े सभी दोषों या नकारात्मक योग से मुक्ति के लिए बहुत ही शुभ और रामबाण उपाय माना गया है। इसमें भी विशेष रूप से शिवलिंग का अभिषेक करना श्रेष्ठ और शीघ्र परिणाम देने वाला होता है।

ज्योतिषाचार्य विभोर इंदुसुत के अनुसार अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा नीच राशि में हो, चंद्रमा-राहु की युति से चंद्रग्रहण योग बना हो, चंद्रमा-सूर्य की युति से अमावस्या योग बना हो, चंद्रमा-शनि की युति से विष योग बना हो, केमद्रुम योग बना हो या फिर कालसर्प यो, इन सभी दोषाों या नकारात्मक योग से व्यक्ति के जीवन में विशेष से मानसिक अशांति हमेशा बनी रहती है।

मन कभी स्थिर नहीं हो पाता और व्यक्ति हमेशा नकारात्मक विचारों एवं अवसाद में डूबा रहता है। ऐसे लोगों के जीवन में संघर्ष एवं बाधाएं भी आती रहती हैं जिससे जीवन में उथल-पुथल बनी रहती है। ऐसा व्यक्ति मानसिक रूप से हमेशा परेशान ही रहता है।

अगर कुंडली में ये छह योग बने हों तो प्रतिदिन शिवलिंग का अभिषेक करने से इनका दुष्परिणाम क्षीण हो जाता है। इससे व्यक्ति बुरे परिणामों से बच जाता है। उसके जीवन में स्थिरता और शांति आने लगती है। विभोर इंदुसुत के मुताबिक जिन लोगों की कुंडली में ये योग बन रहे हों तो उन्हें भगवान शिव का प्रतिदिन अभिषेक अवश्य करना चाहिए। ऐसे लोग अपने घर में भी एक छोटा शिवलिंग रखते हुए उसका रोज अभिषेक कर सकते हैं।

भगवान शिव के अभिषेक से चंद्रमा मजबूत होता है। चंद्रमा जल एवं दूध दोनों का कारक है। इसलिए जल और धूल के मिश्रण से भगवान शिव का अभिषेक करना चाहिए। जिन लोगों को तनाव, मानसिक अशांति, घबराहट, एकाग्रता की कमी और नकारात्मक विचारों की समस्या हो उनके लिए यह उपाय रामाबाण सिद्ध होता है।

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