जानें कैसे किया जाता हैं कोरोना वायरस का टेस्ट, करना पड़ता हैं इन मुश्किलों का सामना
तेजी से बढ़ रहे हैं कोरोना वायरस के मामले. कोरोना वायरस को लेकर लोगों के मन में तरह-तरह की शंकाएं हैं जैसे कि कोरोना वायरस का टेस्ट कैसे कराना चाहिए और ये किस तरह होता है.
कोरोना वायरस के लिए किया जाने वाला डायग्नोस्टिक टेस्ट क्या है?
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) का कहना है कि पॉलीमरेज चेन रिएक्शन (पीसीआर) का टेस्ट किसी नामी लैब में ही कराया जाता है. ये पीसीआर टेस्ट गले, श्वास नली के लिक्विड और मुंह की लार की सैंपल के स्वैब पर किए जाते हैं. इस तरह के टेस्ट आमतौर पर इन्फ्लूएंजा ए, इन्फ्लूएंजा बी और एच1 एन1 वायरस का पता लगाने के लिए किए जाते हैं.
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डॉक्टर्स के मुताबिक, नाक और गले के पिछले हिस्से दो ऐसी जगहें हैं जहां वायरस के मौजूद होने की संभावना ज्यादा होती हैं. स्वैब के जरिए इन्हीं कोशिकाओं को उठाया जाता है. स्वैब को ऐसे सॉल्यूशन में डाला जाता है जिनसे कोशिकाएं रिलीज होती हैं. स्वैब टेस्ट का इस्तेमाल सैंपल में मिले जेनेटिक मैटेरियल को कोरोना वायरस के जेनेटिक कोड से मिलाने में किया जाता है.
PCR टेस्ट क्या है?
इसमें ऐसी तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है जो डीएनए की प्रतियां बनाता है. ‘पोलीमर’ उन एंजाइमों को कहा जाता है जो डीएनए की प्रतियां बनाते हैं. ‘चेन रिएक्शन’ में डीएनए के हिस्से तेजी से कॉपी किए जाते हैं- जैसे एक को दो में कॉपी किया जाता है, दो को चार में कॉपी किया जाता है और इसी तरह ये क्रम चलता रहता है. अमेरिकी जैव रसायन वैज्ञानिक कैरी मुलिस ने पीसीआर तकनीक का आविष्कार किया था. कैरी मुलिस को 1993 में रसायन विज्ञान के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.
SARS-COV-2 वायरस आरएनए का बना होता है इसलिए इसे डीएनए में बदलने की जरूरत पड़ती है. इसके लिए रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन नाम की तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है. ‘रिवर्स ट्रांसक्रिपटेस’ एंजाइम आरएनए को डीएनए में परिवर्तित करता है. इसके बाद डीएनए की प्रतियां बनाई और बढ़ाई जाती हैं.
इन डीएनए को रंगबिरंगा बनाने वाला ‘प्रोब’ वायरस की मौजूदगी के बारे में बताता है. ये टेस्ट SARS-COV-2 को अन्य वायरस से भी अलग करता है.
PCR प्रक्रिया में कितना समय लगता है?
ICMR वैज्ञानिक डॉक्टर आर आर गंगाखेड़कर का कहना है कि इस प्रकिया में पहले 6 घंटे का समय लगता था लेकिन रियल टाइम पीसीआर ने नमूनों का परीक्षण करने में लगने वाले समय को 4 घंटे तक कम कर दिया है.
डॉक्टर गंगाखेड़कर ने कहा, ‘हालांकि, कुल मिलाकर सैंपल लेने और रिपोर्ट देने तक में लगने वाला समय लगभग 24 घंटे है. कभी-कभी ये उससे कम भी हो सकता है.’
भारत में ये टेस्ट कैसे किया जा रहा है?
NIMHANS के वरिष्ठ प्रोफेसर डॉक्टर वी रवी ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा कि भारत में SARS-COV-2 का टेस्ट करने के लिए टू स्टेज रियल टाइम पीसीआर किया जा रहा है. पहले स्टेज में कोरोना वायरस के सामान्य आनुवंशिक तत्वों का पता लगाया जाता है, जो सैंपल में पाए जा सकते हैं.
दूसरे स्टेज में उन विशिष्ट जीन का परीक्षण किया जाता है जो सिर्फ SARS-COV-2 वायरस में मौजूद होते हैं.
डॉक्टर रवि ने बताया कि मार्च की शुरुआत तक किसी भी प्रकार के कोरोनो वायरस की जांच हर लैब में की जा रही थी लेकिन पुष्टि के लिए PCR केवल पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी द्वारा ही किया जा रहा था.
डॉक्टर रवि ने बताया, ‘NIV (National Institute of Virology) पुणे ने अब ये तकनीक सभी लैब को भेज दी है ताकि सैंपल की जांच के लिए पुणे जाने की जरूरत ना हो. इससे सैंपल की जांच में लगने वाले समय में भी कमी आई है.’
भारत में रोजाना 10,000 सैंपल टेस्ट किए जा सकते हैं. देश भर में 52 केंद्रों पर कोरोना वायरस के टेस्ट किए जा रहे हैं.