हंसने-मुस्कराने से कम फायदेमंद नहीं झूमना-नाचना, ये है वजह

कहते हैं, हमेशा हंसते-मुस्कराते रहना बीमारियों से बचाव का सबब कारगर जरिया है। हालांकि, ब्रिटेन में हुए एक नए अध्ययन की मानें तो नाचना-गाना भी सेहत के लिए कम फायदेमंद नहीं। इससे वजन नियंत्रित रखने के साथ ही ‘फील गुड’ हार्मोन का स्त्राव बढ़ाने और स्ट्रेस हार्मोन ‘कॉर्टिसोल’ का उत्पादन घटाने में अच्छी-खासी मदद मिलती है।

‘द पोल’ के अध्ययन में दो हजार वयस्क शामिल हुए। इनमें से 80 फीसदी ने डांस को तनाव की छुट्टी करने में बेहद असरदार करार दिया। 75 प्रतिशत ने कहा, टीवी या मोबाइल पर गाना बजाकर नाचने में उन्हें अजब-सी खुशी मिलती है। 50 फीसदी ने माना कि झूमने-नाचने से काम का बोझ ज्यादा महसूस नहीं होता और चिड़चिड़ेपन के एहसास में भी कमी आती है।

मुख्य शोधकर्ता डॉ. पीटर लोवाट के मुताबिक नृत्य न सिर्फ रोजमर्रा के तनाव से ध्यान भटकाता है, बल्कि सोचने का अंदाज भी बदलता है। जब इनसान अलग-अलग मुद्राएं धारण करता है तो सेराटोनिन और डोपामाइन जैसे ‘फील गुड’ हार्मोन ज्यादा मात्रा में पैदा होने लगते हैं। साथ ही ‘ओपियॉएड रिसेप्टर’ भी अधिक सक्रिय हो जाता है और दर्द का एहसास खुद बखुद घटने लगता है। इसके अलावा ‘कॉर्टिसोल’ के उत्पादन में कमी लाने में भी नृत्य की अहम भूमिका पाई गई है।

आलोचना का डर नहीं-

अध्ययन में शामिल 67 फीसदी प्रतिभागियों ने कहा कि झूमने-नाचने के लिए उन्हें किसी बहाने की तलाश नहीं होती। 41 प्रतिशत ने माना कि वे डांस में बिल्कुल कच्चे हैं। हालांकि, मजाक या आलोचनाओं का पात्र बनने की चिंता उन्हें नृत्य का लुत्फ उठाने से नहीं रोकती।

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