जानें कब है शनैश्चरी अमावस्या, शनि साढ़ेसाती की पीड़ा से बचने के लिए करें ये… उपाय

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शनैश्चरी अमावस्या का विशेष महत्व होता है। फाल्गुन मास की अमावस्या शनिवार के दिन पड़ रही है, इसलिए यह शनैश्चरी अमावस्या है। शनिवार का दिन शनि देव की आराधना के साथ ही साढ़ेसाती और ढैय्या की पीड़ा से बचने के लिए किए जाने वाले उपायों के लिए भी उत्तम माना जाता है। जागरण अध्यात्म में आज हम आपको बता रहे हैं कि शनैश्चरी अमावस्या किस दिन है? साढ़ेसाती और ढैय्या की पीड़ा से बचने के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं?

शनैश्चरी अमावस्या या फाल्गुन अमावस्या 13 मार्च को है। शनैश्चरी अमावस्या तिथि का प्रारंभ 12 मार्च को दोपहर 03 बजकर 02 मिनट से हो रहा है, जो 13 मार्च को दोपहर 03 बजकर 50 मिनट तक रहेगा।

शनैश्चरी अमावस्या के उपाय

1. शनैश्चरी अमावस्या के दिन स्नान आदि करने के बाद आपको पीपल के वृक्ष की पूजा करनी चाहिए। इसमें त्रिदेव का वास माना जाता है। इसकी पूजा करने से शनि देव भी प्रसन्न होते हैं।

2. शनिवार के दिन आपको शमी के पेड़ की पूजा करनी चाहिए। ऐसा करने वाले से शनि देव प्रसन्न होते हैं क्योंकि शमी का पेड़ उनको प्रिय है। शनैश्चरी अमावस्या के दिन शमी के पेड़ के पास दीपक जलाएं। इससे साढ़ेसाती या ढैय्या की पीड़ा से राहत मिलती है।

3. शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या की पीड़ा से राहत पाने के लिए सबसे आसान और प्रभावी उपाय है संकटमोचन हनुमान जी की पूजा करना। उनकी पूजा करने वाले को शनि देव परेशान नहीं करते हैं।

4. शनैश्चरी अमावस्या के दिन आपको पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए।

5. शनिवार को हनुमान जी को लाल लंगोट और लाल सिदूंर चढ़ाएं। चमेली के तेल की दीपक जलाएं। हनुमान जी की पूजा करने से साढ़ेसाती और ढैय्या के प्रभाव में कमी आती है।

6. शनैश्चरी अमावस्या के दिन आपको स्नान दान के बाद पीपल के वृक्ष को जल अर्पित करें। फिर 7 बार उस वृक्ष की प्रदक्षिणा यानी परिक्रमा करें। वहीं हनुमान चालीस का पाठ करें।

7. शनैश्चरी अमावस्या के दिन काले कुत्ते या काली गाय को रोटी में सरसों का तेल लगाकर खिला दें।

8. शनैश्चरी अमावस्या के दिन आपको शनि देव को सरसों का तेल अर्पित करें। इससे भी शनि देव प्रसन्न होते हैं।

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