यहां जाने कब है नरक चतुर्थी, भगवान कृष्ण को क्यों करनी पड़ी थी 16,000 कन्याओं से शादी

लखनऊ। दीपावली (Diwali 2020) के एक दिन पहले सौन्दर्य प्राप्ति और दीर्घायु के लिए नरक चतुर्दशी मनाई जाती है। इस दिन आयु के देवता यमराज की उपासना की जाती है और सौन्दर्य प्राप्ति के लिए पूजा की जाती है। नरक चतुर्दशी (Narak chaturdashi 2020) पर भगवान कृष्ण की उपासना भी की जाती है, क्योंकि इसी दिन उन्होंने नरकासुर का वध किया था।

कुछ पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, आज ही के दिन हनुमान जी का जन्म भी हुआ था। जीवन में आयु या स्वास्थ्य की अगर समस्या हो तो इस दिन के प्रयोगों से दूर हो जाती है। इस बार नरक चतुर्दशी और दिवाली एक ही दिन शनिवार, 14 नवंबर को मनाई जाएगी।

कैसे शुरू हुई नरक चतुर्दशी?

श्रीकृष्ण ने कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी तिथि को नरकासुर का वध किया था। नरकासुर ने 16,000 कन्याओं को अपने वश में कर लिया था। राक्षस की कैद से कन्याओं को आजाद कराने के लिए कृष्ण को उसका वध करना पड़ा था। इसके बाद कन्याओं ने श्रीकृष्ण से कहा कि समाज उन्हें अब कभी स्वीकार नहीं करेगा। इन कन्याओं को समाज में सम्मान दिलाने के लिए श्रीकृष्ण ने उनसे विवाह किया था।

नरक चतुर्दशी पर क्या करें?

नरक चतुर्दशी पर मुख्य दीपक लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए जलता है। इसे यम देवता के लिए दीप दान कहते हैं। घर के मुख्य द्वार के बाएं ओर अनाज की ढेरी रखें, इस पर सरसों के तेल का एक मुखी दीपक जलाएं। दीपक का मुख दक्षिण दिशा ओर होना चाहिए। अब वहां पुष्प और जल चढ़ाकर लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य की प्रार्थना करें।

नरक चतुर्दशी पर क्या सावधानियां रखें?

मुख्य द्वार पर एक ही बड़ा सा सरसों के तेल का एक मुखी दीपक जलाएं. इस दिन के पहले ही घर की साफ सफाई कर लें, अगर ज्यादा पूजा उपासना नहीं कर सकते तो कम से कम हनुमान चालीसा जरूर पढ़ें, जो भी भोजन बनाएं, उसमें प्याज-लहसुन का प्रयोग न करें।

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