जानिए क्या है आंवला नवमी व्रत की कथा और पूजन विधि

कार्तिक महीने में कई पर्व होते हैं तथा हर एक पर्वों की अपनी एक विशेष अहमियत होती है। दीपावली के पश्चात् आवंला नवमी के त्योहार को मनाया जाता है। शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवला नवमी मनाई जाती है। इस विशेष दिन आवंले के वृक्ष की पूजा की जाती है। आपको बता दें कि स्वस्थ रहने की कामना के साथ आंवला के पेड़ की पूजा की जाती है। आंवला नवमी में आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर ही पूजा-अर्चना के पश्चात् भोजन किया जाता है। इस दिन आंवले को भी प्रसाद के तौर पर खाने की अहमियत है। इसे अक्षय नवमी भी कहा जाता है। इस दिन किया गया कार्य शुभ माना जाता है तथा अक्षय फल देने वाला होता है। आपको बता दें कि इस बार आंवला नवमी 12 नवंबर 2021, शुक्रवार को होगी।

जानिए क्या है कथा:-
आंवला नवमी अनेकों फल देने वाला है। ऐसे में इस दिन आंवले के वृक्ष के नीचे ब्राह्मणों को भोजन कराना फलदायी माना जाता है, इसके साथ ही पहले उन्हें सोने का दान दिया जाता था। एक बार एक सेठ ब्राह्माणों को आदर सत्कार इस दिन देता था, तो उसके बेटों को ये सब अच्छा नहीं लगता था, इसके लिए वह पिता से लड़ाई भी किया करते थे। ऐसे में घर में होने वाले इस झगड़े से परेशान होकर सेठ ने एक बार घर छोड़ दिया तथा दूसरे गांव में जाकर रहने लगा। उसने वहां जीवनयापन के लिए एक दुकान लगा ली। यहां उसने दुकान के आगे आंवले का एक वृक्ष लगाया। प्रभु की कृपा हुई तथा उसकी दुकान बहुत चलने लगी।

वही विशेष बात ये थी परिवार से दूर होने पर भी वह यहां भी आंवला नवमी का व्रत-पूजा करने लगा और ब्राह्मणों को खाना खिलाकर दान देने लगा। दूसरी ओर बेटों का कारोबार पूरी तरह से ठप्प हो गया है, तथा उनको अपनी गलती का अहसास हुआ। उनकी समझ में यह बात आ गई कि हम पिताश्री के भाग्य से ही खाते थे। तत्पश्चात, बेटे अपने पिता के पास गए और अपनी गलती की माफी मांगने लगे। फिर पिता की आज्ञानुसार उन्होंने भी आंवला के वृक्ष की पूजा की इसके प्रभाव से उनके घर में भी पहले जैसी खुशहाली आ गई।

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