जानिए क्या हैं लट्ठमार होली का महत्व, जान लें यह खास बात

हर साल होली का त्योहार बड़ी ही धूमधाम और उत्साह के साथ पूरे देश में मनाया जाता है। इस दिन लोग एक-दूसरे को रंग लगाते हैं, एक-दूसरे के हाथ से पकवान खाते हैं और प्यार के रंगों में डूब जाते हैं। वहीं, अब होली आने में महज कुछ ही दिन बचे हैं। ऐसे में सभी लोग इस त्योहार की तैयारियों में लगे हुए हैं और ऐसी तैयारी बरसाने की लट्ठमार होली के लिए भी की जा रही है। लेकिन आप बरसाने की इस होली के बारे में कितना जानते हैं? अगर नहीं, तो चलिए हम आपको इसके बारे में कुछ खास बातें बताते हैं।

सिर्फ यहीं होती है ये होली
लट्ठमार होली उत्तर प्रदेश के राज्य मुथुरा के पास के शहरों बरसाना और नंदगांव में खेली जाती है। यहां हर साल काफी संख्या में देश ही नहीं विदेशों से भी लोग पहुंचते हैं, और इस होली का आनंद लेते हैं। पूरे भारत में एकमात्र ये ऐसी रस्म है, जिसमें होली के दिन बरसाने की महिलाएं पुरुषों पर लाठियां बरसाती हैं, और पुरुष इससे बचते हैं।

ये है पौराणिक कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार वुंदावन में भगवान श्रीकृष्ण राधा और अन्य गोपियों संग होली खेलते थे। श्रीकृष्ण मथुरा से 42 किलोमाटर दूर राधा की जन्मस्थली बरसाना में आकर होली खेलते थे और तभी से ये प्रथा चली आ रही है। हालांकि, उस वक्त रंगों से ये होली खेली जाती थी और अब महिलाएं पुरुषों पर लाठियां बरसाती हैं।

इन पुरुषों को लाठियों से मारती हैं महिलाएं
इस दिन महिलाएं कुछ लोक गीत गाते हुए उन पुरुषों को लाठियों से पीटती हैं, जो उन पर रंग डालने आते हैं। इस दौरान सभी भगवान श्रीकृष्ण और मां राधे को याद करते हैं। वहीं, पुरुष खुशी-खुशी लाठियां सहन भी करते हैं। ये उत्सव पूरे एक सप्ताह तक चलता है और लोग इसे पूरे जोश और उत्साह के साथ मनाते हैं।

ये है महत्व
मान्यातओं के अनुसार, हर साल नंदगांव के पुरुष बरसाना आते हैं। वहीं बरसाना आए हुए पुरुषों का स्वागत महिलाएं लाठियों से करती हैं। जहां महिलाएं पुरुषों पर लाठियां बरसाती हैं, तो वहीं पुरुष ढाल से बचने की कोशिश करते हैं। ये सारा उत्सव बरसाना के राधा रानी मंदिर के विशाल परिसर में होता है, जिसे देश का एकमात्रा मंदिर कहा जाता है, जो राधा जी को समर्पित है।

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