जानिए श्रीकृष्ण के जन्म से मृत्यु तक जुड़े 8 अंक का राज

2-3 सितंबर 2018 को देशभर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को बड़ी धूमधाम से मनाने की तैयारियां जोरों से चली आ रही है। हिंदू पंचांग के अनुसार भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि को आधी रात को हुआ। भगवान कृष्ण के जीवन में 8 अंकों का विशेष महत्व रहा है।जानिए श्रीकृष्ण के जन्म से मृत्यु तक जुड़े 8 अंक का राज

भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद महीने की कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को महानिशीथ काल में वृष लग्न में हुआ था। उस समय चंद्रमा रोहिणी नक्षत्र में था। भगवान श्रीकृष्ण की जन्म कुंडली में राहु को छोड़कर बाकी ग्रह अपनी स्वयं की राशि और उच्च राशि में स्थित थे।

कृष्ण जन्म के दौरान 8 अंक का जो संयोग बना उसमें कई रहस्य छुपे हैं। श्री कृष्ण का जन्म रात्रि के सात मुहूर्त निकलने के बाद आठवें मुहूर्त में हुआ। तब रोहिणी नक्षत्र तथा अष्टमी तिथि थी जिसके संयोग से जयंती नामक योग बन रहा था।

8 मूलांक की विशेषता
जिन व्यक्तियों का जन्म किसी भी माह की 8,17 या 26 तारीख को होता हैं, वे इस मूलांक के अंतर्गत आते हैं। मूलांक 8 का स्वामी ग्रह शनि हैं। ज्योतिषशास्त्र में शनि को पाप ग्रह कहा गया है लेकिन, भाग्य को सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाला ग्रह भी यही है। शनि की स्थित अनुकूल हो तो व्यक्ति को भाग्य का सहयोग हमेशा मिलता रहता है। इस मूलांक वाले लोग सफलता अर्जित करते हैं। इस मूलांक के व्यक्ति प्रायः अन्तर्मुखी प्रवृति के होते है, ये लोग प्रचार-प्रसार से दूर एकनिष्ठ होकर अपने कामो में लगे रहते हैं ये लोग दुनिया के लिए महत्वपूर्ण कार्य करते हैं। इस अंक वाले व्यक्ति या तो अत्यंत सफल होते है या अत्यंत असफल।

भगवान कृष्ण के रूप में विष्णु जी ने इस धरती पर 8वें अवतार लिया था इसलिए 8 का अंक भगवान कृष्ण के लिए विशेष महत्व रखता है।

कंस का वध करने के लिए भविष्यवाणी हुई थी कि उसका नाश देवकी और वासुदेव की आठवीं संतान करेगी। भगवान कृष्ण अपने मामा कंस का सर्वनाश किया था।

भगवान श्री कृष्ण की 8 पत्नियां थी, जिन्हें अष्यभार्या का नाम दिया गया था। इसके अलावा भगवान श्रीकृष्ण ने 16,100 रानियों से विवाह किया था और इन 16100 रानियों का योग 8 आता है।

भगवतगीता जो भगवान कृष्ण के उपदेश हैं, उसके आठवें अध्याय का आठवां श्लोक “परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्। धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे” को बेहद महत्वपूर्ण माना गया है।

भगवान कृष्ण करीब 125 साल तक जिंदा रहे और इस अंक का योग भी 8 आता है।

अंकशास्त्र में 8 का अंक शनिदेव का अंक माना जाता है इसलिए शनिदेव और भगवान कृष्ण का विशेष संबंध है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button