मोसुल में मारे गए 39 भारतीयों के परिजन देखना चाहते हैं DNA रिपोर्ट

पंजाब, बिहार, हिमाचल प्रदेश और पश्चिम बंगाल के 39 परिवार इराक में गायब अपने परिजनों के बारे में किसी खबर का चार साल से बेसब्री से इंतजार कर रहे थे. अब विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की एक घोषणा ने इन परिवारों पर वज्रपात कर दिया है. उन सभी के मन में उम्मीद की किरण बाकी थी कि उनका रिश्तेदार एक दिन घर लौटेगा. इन वर्षों में इन परिवारों ने खासकर अपने परिजन के जन्मदिन, शादी की वर्षगांठ और तीज-त्योहारों पर उन्हें खूब याद किया.

गौरतलब है कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने मंगलवार को संसद में घोषणा की, ‘पूरे सबूत मिलने के बाद मैं कह सकती हूं कि सभी 39 लोगों की मौत हो चुकी है.’

ये 39 लोग इराक के निर्माण क्षेत्र में काम करने वाले भारतीय श्रमिक थे और साल 2014 में वहां के शहर मोसुल में इस्लामिक स्टेट के आतंकियों ने इनका अपहरण कर लिया था. इसके बाद से उनका कोई पता नहीं चला था. अब इनके पार्थ‍िव शरीर बादुश की एक पहाड़ी से हासिल हुए हैं.

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डीएनए रिपोर्ट देखना चाहते हैं परिजन

इन परिवारों में से कई ने समाचार एजेंसी एनएनआई से बात की और सब को एक ही तरह की शिकायत या गुस्सा है. अपने भाई मजिंदर की मौत की सूचना पर उनकी बहन गुरपिंदर कौर ने कहा, ‘चार साल से विदेश मंत्री हमसे कह रही थीं कि वे जिंदा हैं. मैं अब किस पर भरोसा करूं. मैं उनसे बात करना चाहती हूं. हमें अभी तक कोई सूचना नहीं मिली है. हमने बस संसद में उनका बयान सुना है.’

गुरपिंदर ने कहा कि वह डीएनए रिपोर्ट देखना चाहती हैं. उन्होंने कहा, ‘हम सरकार से मांग करते हैं कि हमें डीएनए रिपोर्ट दिखाई जाए. इस मसले पर राजनीति की जा रही है. हम चार साल तक दौड़ते रहे और अब हमें टीवी से यह खबर मिल रही है.’

मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा था कि संसदीय प्रक्रिया का पालन करते हुए उन्होंने पहले इस खबर की जानकारी संसद को दी है. गुरपिंदर ने कहा, ‘ठीक है कि उन्हें पहले संसद में घोषणा करनी थी. लेकिन मरने वाला हमारे परिवार से था. उन्हें बस अपनी प्रतिष्ठा का ध्यान है. वे तो कहती थीं कि गायब सभी लोग उनके बच्चों की तरह हैं. अब उनका दुख कहीं दिख रहा है? यह खबर मिलते ही पहले हमसे संपर्क होना चाहिए था.’

पीएम मोदी ने कहा कि सुषमा स्वराज और उनके मंत्रालय के सहयोगियों ने गायब श्रमिकों का पता लगाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी थी. लेकिन सच तो यह है कि लंबे समय से कोई जानकारी न होने और अचानक इस तरह की दुखद खबर सुनने से परिवारों को काफी सदमा पहुंचा है.

कमलजीत कौर के पति रूप लाल की भी आतंकियों ने हत्या कर दी है. उन्होंने बताया, ‘वह सात साल पहले इराक गए थे. उनसे हमारी साल 2015 तक फोन पर बात होती रही. सरकार के लोग दो-तीन महीने पहले हमारा डीएनए सैंपल लेकर गए थे. अब कुछ कहने के लिए मेरे पास शब्द नहीं बचे हैं.’

इसी तरह एक और मृतक गुरचरन सिंह की पत्नी हरजीत कौर ने कहा, ‘वह साल 2013-14 में मोसुल गए थे. पहले सरकार कहती थी कि सभी लोग सुरक्षित हैं. अब वे यह खबर सुना रहे हैं.’

अपने भांजे को खोने वाले पुरुषोत्तम तिवारी ने कहा, ‘मैं क्या कहूं, कुछ समझ नहीं आ रहा. साल 2014 से ही मैं सरकार से विनती कर रहा था कि उसे किसी तरह से देश लेकर आएं और आज वे कह रहे हैं कि मेरा भांजा इस दुनिया में नहीं है.’

डीएनए परीक्षणों से इस बात की पुष्ट‍ि हुई है कि बादुश में जो अवशेष पाए हैं वे गायब भारतीयों के ही हैं. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने बताया है कि एक व्यक्ति का सिर्फ 70 फीसदी मिलान हो पाया है, क्योंकि उसके मां-बाप की मौत हो चुकी है और डीएनएउसके एक रिश्तेदार का लेना पड़ा है.

हालां‍कि दो अन्य मृतकों सुरजीत कुमार मेनका और देविंदर सिंह की पत्नियों ने कहा कि सरकार से उन्हें कुछ नहीं चाहिए. मेनका की पत्नी ने कहा, ‘मेरे पास एक छोटा बच्चा है और कोई सहारा नहीं है.’

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने केंद्र सरकार से प्रभावित परिवारों को मुआवजा देने की मांग की है. लेकिन क्या किसी मुआवजे से उन परिवारों के प्रियजनों की भरपाई हो सकती है. मोसुल में अपने बेटे अमन को खो चुके राजेश चंद पूछते हैं, ‘मैं सरकार से क्या मांगू? मेरा बेटा तो चला ही गया.’

 
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