सांप को दूध पिलाने के पीछे की ये सच्‍चाई जानकर, उड़ जाएगे आपके होश

सावन के महीने में नाग देवता की पूजा करने और नाग पंचमी के दिन नाग को दूध पिलाने की मान्यता बरसों से चली आ रही है। माना जाता है कि इससे नाग देवता प्रसन्न होते हैं और नागदंश का भय नहीं रहता। यह भी मान्यता है कि नागों की पूजा करने से घर में अन्न और धन भंडार हमेशा भरा रहता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमारी इस मान्यता के पीछे नागों की क्या  दशा होती है। आपको जानकारी दे दें कि इन परंपराओं की वजह से नागों को काफी नुकसान झेलना पड़ता है।

दरअसल, किसी भी तरह का सांप रेप्टाइल जीव होते हैं। रेप्टाइल जीव दूध को पचा नहीं पाते। यही नहीं, दूध पिलाने से सांप की आंत में इंफेक्शन हो सकता है। ऐसे में कई बार दूध सांपों के लिए जहर समान बन जाता है। दूध पिलाने से कई बार उनकी मृत्यु तक हो सकती है।

इस विषय पर पशुओं के एक डॉक्टर ने बताया कि सांप का पाचनतंत्र इस प्रकार का नहीं होता कि वह दूध को पचा नहीं पाता। सांप एक कोल्ड ब्लडेड और मांसाहारी रेप्टाइल है। जबकि दूध का सेवन स्तनधारी ही कर सकते हैं। ऐसे में मान्यताओं के चक्कर में लोग अपने आराध्य की पूजा के बजाए उनका बुरा कर देते हैं।

जानवरों के लिए काम कर रही एक संस्था से जुडे डॉक्टर बताते हैं कि दरअसल नाग पंचमी से करीब एक डेढ़ महीने पहले से सपेरे जंगलों से सांपों को पकड़ते हैं। उसके बाद इन्हें भूखा प्यासा रखकर उसके दांत निकाले जाते हैं ताकि वह काट ना सके। एक महीने तक भूखे रहने पर सांप की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं। भूखे पेट जब नाग पंचमी के दिन सांप के सामने दूध रखा जाता है तो दूध भी पीने लगता है। ऐसे में लोगों को यह जानकारी होना बहुत जरूरी है कि अपनी परंपराओं के चक्कर में एक जीव को कितने यातनाओं से गुजरना पड़ता है।

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दो दिन है नागपंचमी का त्योहार

बिहार, बंगाल, उड़ीसा, राजस्थान में कृष्ण पक्ष पंचमी यानि 2 अगस्त को नागपंचमी मनाया जा रहा है, जबकि देश के कई भागों में 15 अगस्त को नागपंचमी मनाई जा रही है। इस अवसर पर नागों को दूध पिलाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है।

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