चीन से मुकाबला करना होगा मुश्किल, भारत-रूस के बीच अगर आया अमेरिका…

शीर्ष रिपब्लिकन सीनेटर टॉड यंग ने रूसी-400 (मिसाइल) सिस्टम खरीदने के लिए अमेरिका की भारत पर एक्शन लेने की कवायद का विरोध किया है. सीनेटर टॉड यंग ने काउंटरिंग अमेरिका एजेंसी थ्रू सेक्शंस (CAATSA) के तहत कदम न उठाने की बाइडेन प्रशासन से अपील की है. उन्होंने बाइडेन प्रशासन से आग्रह किया है कि CAATSA से भारत को छूट दी जाए.

सीनेटर टॉड यंग का मानना है कि अगर अमेरिका रूसी-400 (मिसाइल) सिस्टम खरीदने को लेकर कोई कदम उठाता है तो इससे भारत-अमेरिका के रिश्ते पर असर पड़ेगा. साथ ही साथ इससे QUAD के जरिये चीन के बढ़ते कदम को रोकने का अमेरिकी प्रयास भी अछूता नहीं रहेगा.

सीनेटर टॉड यंग ने विदेश नीति से संबंधित एक पत्रिका में लिखा है कि अगर जो बाइडेन प्रशासन भारत पर पाबंदी लगाता है तो यह नाजुक समय में दोनों देशों के संबंधों को कमजोर करेगा और चीन का मुकाबला करने की क्वाड की क्षमता प्रभावित होगी. बताते चलें कि क्वाड में जापान, भारत, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं और इनका मकसद हिंद प्रशांत क्षेत्र में अहम समुद्री मार्गों को किसी प्रभाव से मुक्त रखने के लिए एक नई रणनीति विकसित करना है जहां हाल के वर्षों में चीन का दबदबा बढ़ा है.

बहरहाल, टॉड यंग ने बताया कि हाल के हफ्तों में सीनेट की विदेश संबंधों की समिति के अध्यक्ष बॉब मेनेंडिस ने CAATSA की धारा 231 के तहत भारत को प्रतिबंध लगाने की धमकी दी है. उन्होंने कहा है कि अगर भारत रूसी मिसाइल खरीदता है तो इसके नतीजे अच्छे नहीं होंगे.

असल में, काउंटरिंग अमेरिका एजेंसी थ्रू सेक्शंस (CAATSA) की धारा 231 उन संस्थाओं पर पाबंदी लगाती है जो रूसी या खुफिया क्षेत्रों की ओर से संचालित होती हैं. CAATSA अमेरिका एक सख्त नियम है जो रूस से प्रमुख रक्षा हार्डवेयर खरीदने वाले देशों पर प्रतिबंध लगाने के लिए अमेरिकी प्रशासन को अधिकृत करता है.हालांकि यह रूसी एस-400 मिसाइल सिस्टम की भारत की खरीद को बाधित नहीं करेगा. यंग टॉड ने अमेरिकी कानून की इस धारा से भारत को छूट देने का बाइडेन प्रशासन से आग्रह किया है.

शक्तिशाली माने जाने वाले सीनेट विदेश संबंध समिति के प्रमुख सदस्य सीनेटर टॉड यंग ने एक प्रतिष्ठित विदेश नीति संबंधी पत्रिका में लिखा है कि अगर जो बाइडेन प्रशासन भारत पर प्रतिबंध लगाता है, तो उससे रूस के साथ एस-400 मिसाइल सिस्टम की नई दिल्ली की खरीद बाधित नहीं होगी. लेकिन नाजुक समय में दोनों देशों के रिश्ते जरूर प्रभावित होंगे. इससे भारत के साथ वाशिंगटन के रिश्ते कमजोर होंगे और चीन का मुकाबला करने की QUAD की क्षमता भी प्रभावित होगी.

यंग टॉड ने लिखा है, ‘अमेरिकी पाबंदियों का फायदा उठाते हुए रूस भारत के पसंदीदा सैन्य साझेदार के रूप में अपनी पुरानी स्थिति को फिर से बहाल कर सकता है. भारत पर पाबंदी लगाना वास्तव में मास्को के लिए एक जियोस्ट्रैटजिक जीत साबित होगी.’ अतीत में भारत-रूस के रिश्ते अमेरिका की बनिस्बत ज्यादा मजबूत रहे हैं, टॉड यंग ने अमेरिका का ध्यान भारत-रूस के इसी अतीत वाले रिश्ते की तरफ दिलाने की कोशिश की है.

अमेरिकी प्रशासन की चेतावनी के बावजूद अगर भारत और रूस के बीच इस सौदे को अमलीजाम पहनाया जाता है तो अमेरिका पाबंदी लगाने की कोशिश करेगा. 2019 में, भारत ने मिसाइल सिस्टम के लिए रूस को लगभग 800 मिलियन अमरीकी डॉलर के भुगतान की पहली किश्त दी थी. S-400 को रूस का सबसे एडवांस मिसाइल सिस्टम माना जाता है तो जमीन से हवा में लंबी दूरी तक मार करने में सक्षम होती है.

अमेरिकी प्रशासन की चेतावनी के बावजूद अगर भारत और रूस के बीच इस सौदे को अमलीजाम पहनाया जाता है तो अमेरिका पाबंदी लगाने की कोशिश करेगा. 2019 में, भारत ने मिसाइल सिस्टम के लिए रूस को लगभग 800 मिलियन अमरीकी डॉलर के भुगतान की पहली किश्त दी थी. S-400 को रूस का सबसे एडवांस मिसाइल सिस्टम माना जाता है तो जमीन से हवा में लंबी दूरी तक मार करने में सक्षम होती है.

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