इसरो ने बनाई ‘देसी एटॉमिक क्लॉक’, सैटेलाइट नेविगेशन में करेगी मदद
मिश्रा ने कहा- देसी परमाणु घड़ी विकसित करने के बाद इसरो दुनिया के उन कुछ अंतरिक्ष संगठनों में शामिल हो गया है जिनके पास यह बेहद जटिल तकनीक है। हमें आयातित परमाणु घड़ी के डिजायन और तकनीक के बारे में नहीं पता है। लेकिन यह देसी घड़ी हमने अपने डिजायन और विनिर्देशो के आधार पर बनाई है। यह घड़ी आयातित की तरह ही अच्छी है। हमें उम्मीद है कि यह आसानी से पांच सालों तक काम कर लेगी।
भारत के रीजनल नैविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (आईआरएनएसएस) के तहत लॉन्च की गई सभी सातों सैटेलाइट में से तीन में आयात की हुई रुबिडियम परमाणु घड़ी लगी हुई हैं। इस परमाणु घड़ियों के कामकाज पर बात करते हुए तपन मिश्रा ने बताया कि पहले लॉन्च की गईं सातों सैटेलाइट में लगी परमाणु घड़ी को एक समय के साथ जोड़ दिया गया था। अलग-अलग ऑर्बिट में लगी सैटेलाइट्स में इन घड़ियों के बीच लगे समय इंटर नैविगेशन रिसीवर पृथ्वी पर किसी वस्तु की सटीक पोजिशनिंग बताने में मदद करते हैं।