टावर नहीं पानी के रास्ते आपके स्मार्टफोन और लैपटॉप तक पहुंचता है Internet

इन्टरनेट हमारी जिन्दगी का अहम वो हिस्सा है, जिसके बगैर हम शायद कुछ सोच भी नही सकते. सोशल मीडिया, ऐप्स, मेल और ढेरों जरूरत की चीजें इन्टरनेट पर ही टिकी हुईं हैं. ऐसे में अगर इन्टरनेट न हो तो बहुत कुछ अधूरा रह जाएगा. ज्यादातर यूजर्स को ऐसा लगता है, इन्टरनेट टेलीकॉम टावर के जरिए सीधा हमारे स्मार्टफोन और कंप्यूटर तक पहुंचता है. लेकिन असल में ऐसा नहीं है. भारत और अन्य देशों में यूज होने वाले इन्टरनेट का करीब 99% हिस्सा समुद्र के रास्ते एक जगह से दूसरी जगह पहुंचता है.
आइये जानते हैं, कैसे समुद्र के रास्ते आपके स्मार्टफोन में पहुंचाता है इन्टरनेट…
दुनियाभर में इन्टरनेट की सेवाएं पहुंचाने के लिए मुख्यरूप से तीन तरह की कंपनियां काम करती हैं. इन कंपनियों को Tier-1, Tier-2 और Tier-3 नाम से जाना जाता है.
Tier 1 कंपनियां दुनियाभर के देशों को जोड़ते हुए समुद्र के अंदर फाइबर ऑप्टिक केबल का जाल बिछाती हैं. जिससे दुनिया के अलग-अलग देशों को जोड़ा जाता है.
भारत में यह केबल मुंबई, चेन्नई, पुडुचेरी,तिरुवंतपुरम,कोच्चिन और तूतीकोरिन में आकार मिलती हैं. समद्र के अन्दर इन केबल को मेंटेनेन्स की खासी जरूरत होती है. इन केबल की लाइफ करीब 25 साल की होती है.
इसके बाद आती हैं Tier 2 कम्पनीज. इन कम्पनियों में आईडिया, एयरटेल, टाटा, जैसे टेलीकॉम कंपनियां शामिल हैं. जो टियर 1 कंपनियों से प्रति जीबी के रेट से इन्टरनेट खरीदती हैं और हम तक पहुंचाती हैं.
इसके बाद अगली कड़ी में Tier 3 कंपनियों शामिल हैं. जो हमारे लोकल इन्टरनेट सर्विस प्रोवाइडर के रूप में काम करती हैं. जिनसे हम घरों और ऑफिस में इन्टरनेट की सर्विस खरीदते हैं.