भारत का विरोध चीन पर बेअसर, पाक से सीपेक की स्पीड बढ़ाने को कहा

चीन ने अपने सदाबहार दोस्त पाकिस्तान से महत्वाकांक्षी सीपेक प्रोजेक्ट को तेज करने को कहा है. चीनी राष्ट्रपति ने इसे दोनों देशों के लिए शांति और स्थिरता का स्तंभ करार दिया. राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पाक पीएम के साथ बैठक में उनसे ये अपील की. बता दें कि सीपेक का काम जोर शोर से चल रहा है और इसकी सुरक्षा में खुद चीनी सुरक्षाकर्मी भी लगे हैं.

चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपेक) की गति को तेज करने का आह्वान करते हुए चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी से कहा कि दोनों देशों के बीच का संबंध क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए स्तंभ होना चाहिए. चीन के दक्षिणी शहर बोआओ में बोआओ फोरम फॉर एशिया से इतर अब्बासी के साथ बैठक में शी ने सीपेक के निर्माण को गति देने के लिए दोनों पक्षों से प्रयास तेज करने का आह्वान किया.

भारत जताता रहा है विरोध

करीब 50 अरब डॉलर की सीपेक परियोजना चीन के मुस्लिम बहुल शिनजियांग प्रांत को पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह से जोड़ेगी. भारत सीपेक को लेकर विरोध दर्ज कराता रहा है क्योंकि यह पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरेगा. भारत का कहना है कि उसकी इजाजत के बिना ही प्रोजेक्ट को तैयार किया जा रहा है.

भारत का मानना है कि इससे राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता को खतरा होगा. यही वजह है कि भारत, चीन के ओबीओआर प्रोजेक्ट का पुरजोर विरोध कर रहा है. पिछले साल ओबीओआर मुद्दे पर बीजिंग में उच्च स्तरीय वार्ता का भारत ने बहिष्कार किया था. इसमें 29 देशों के प्रमुख और कई देशों के प्रतिनिधि शामिल हुए.

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चीन की मंशा बादशाहत कायम करने की

इस प्रोजेक्ट के तहत चीन अफ्रीका से लेकर दक्षिण पूर्व एशिया तक अपनी बादशाहत को कायम करना चाहता है. 50 अरब डॉलर वाला यह प्रोजेक्ट चीन के पश्चिमी शिनजियांग प्रांत को कश्मीर और पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट से जोड़ेगा. इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत चीन रास्ते में पड़ने वाले देशों को अपने क्षेत्र में रेल और सड़क, हवाईअड्डा और बंदरगाह बनाने के लिए अरबों डॉलर का कर्ज देगा. सबसे दिलचस्प बात ये है कि इनके ठेके चीनी कंपनियों को मिलेंगे. कर्ज लेने वाले देश चीनी कंपनियों का बिल चुकाएंगे. इसके अलावा चीन को सूद समेत कर्ज भी चुकाएंगे. अगर कमजोर मुल्क चीनी कर्ज को चुकाने में नाकाम रहे तो उनकी स्वतंत्रता और संप्रभुता खतरे में पड़ जाएगी.

वहीं, पाकिस्तान का मानना है कि अरबों डॉलर की सीपेक परियोजना से देश में समृद्धि आएगी. इस परियोजना से पाकिस्तान के युवाओं को रोजगार मिलेगा. यह परियोजना पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरने वाली है.

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