भारत ने अमेरिका की करी मदद, भेजीं 5 करोड़ हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन टेबलेट

कोरोना से जंग में अमेरिका की मदद करने के लिए भारत ने मलेरिया की दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन (HCQ) भेजने का वादा किया था. अब इस वादे को निभाते हुए भारत से 5 करोड़ टेबलेट हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन अमेरिका के लिए भेज दी है.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने खुद पीएम नरेंद्र मोदी को फोन कर निर्यात को खोलने का अनुरोध किया था. यह भारत द्वारा भेजी गई दवा की सबसे बड़ी खेप में से है. न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी है.

हालांंकि कुछ अमेरिकी नियामकों ने यह चेतावनी भी दी है कि कोविड-19 के उपचार में मलेरिया की इस दवा का इस्तेमाल नुकसानदेह हो सकता है. एक सूत्र ने रॉयटर्स को बताया, ‘यह खेप 5 करोड़ टेबलेट की है. इसे कॉमर्शियल कंपनियों के माध्यम से भेजा जा रहा है.’

इंडियन ड्रग मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (IDMA) के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट ने बताया, ‘अमेरिका सहित अंतरराष्ट्रीय बाजार में हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा की काफी मांग है.’ गुजरात के फूड ऐंड ड्रग कंट्रोल एडमिनिस्ट्रेशन के ​कमिश्नर ने बताया कि अकेले गुजरात में इस दवा को बनाने के लिए 68 नए लाइसेंस जारी किए गए हैं.

राष्ट्रपति ट्रंप ने किया था अनुरोध

हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन को कोरोना संक्रमण के इलाज में भी काफी कारगर माना जा रहा है. भारत ने मलेरिया की दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन और एक अन्य महत्वपूर्ण दवा पैरासीटामॉल के अमेरिका को निर्यात की मंजूरी दे दी है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने खुद पीएम नरेंद्र मोदी को फोन कर निर्यात को खोलने का अनुरोध किया था.

जाइडस, इप्का, जैसी कंपनियों ने अपना उत्पादन कई गुना बढ़ा दिया है. भारत में अभी तक हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन का उत्पादन 10 टन का होता था, जिसके मई के अंत तक यह उत्पादन बढ़कर 70 टन तक पहुंच सकता है.

अपनी पूरी क्षमता के उत्पादन पर भारत 200 एमजी वाले 35 करोड़ हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन टेबलेट का उत्पादन कर सकता है.जानकारों का अनुमान है कि भारत में बहुत ज्यादा जरूरत हुई तो भी मांग 10 करोड़ टेबलेट से ज्यादा रहने के आसार नहीं हैं. बाकी 25 करोड़ टेबलेट भारत आसानी से निर्यात कर सकता है. अमेरिका के अलावा स्पेन, इटली, फ्रांस, जर्मनी, पाकिस्तान, नेपाल जैसे कई देशों से हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की मांग है.

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